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नगीना लोकसभा सीट: किसकी दावेदारी मजबूत? बसपा के सामने खड़े हैं युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद

नगीना लोकसभा सीट: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट के चुनाव पर सबकी नजरें हैं। क्योंकि यहां से युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद चुनावी मैदान में हैं। नगीना सीट इस बार भाजपा ने नहटौर विधायक ओम कुमार को टिकट दिया है। वहीं, बसपा ने सुरेंद्र पाल को उतारा है जबकि सपा ने पूर्व एडीजे मनोज कुमार पर दांव लगाया है। लेकिन इस बार भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की मौजूदगी ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी से नामांकन दाखिल किया है।

पश्चिमी यूपी बसपा का गढ़ रहा है। खासकर बिजनौर और आस पास की सीटों पर पार्टी का वर्चस्व रहा है। दिलचस्प बात है कि चंद्रशेखर अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं और विपक्ष के गठबंधन के उम्मीदवार नहीं हैं। यानी वह बसपा के सीधे खिलाफ हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी से दो बार विधायक रहे मोहम्मद गाजी चंद्रशेखर की पार्टी से जुड़े हैं और उनके लिए प्रचार कर रहे हैं।

बसपा का खिसकता ग्राफ 

2012 में सत्ता से बेदखल होने के बाद चुनावी प्रदर्शन में बसपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है। ताजा चुनावी सर्वे में भी बसपा का ग्राफ निचले स्तर पर पहुंच चुका है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा था। बसपा का वोट प्रतिशत 19.77 रहा। पार्टी को राज्य में एक भी संसदीय सीट हासिल नहीं हुई। 2019 के लोस चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में पार्टी ने 10 सीटें जीती थीं।

नगीना लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर का फोकस

लोकसभा चुनाव में बसपा का ग्राफ नीचे जाने की जानकार वजहें भी बताते हैं। लोकसभा चुनावी सभाओं को छोड़कर मायावती ने 2022 के चुनाव के बाद कोई भी रैली नहीं की। इतना ही नहीं बसपा प्रमुख ने प्रदेश के किसी भी जिले का दौरा भी नहीं किया है, जिससे पार्टी के कोर वोटबैंक दलित समुदाय के छिटकने की बातें सामने आई है। यही वजह है कि आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद न केवल कांशीराम की सियासी विरासत के सहारे दलितों के दिल में जगह बनाने, बल्कि बसपा के सिकुड़ने से खाली हो रही सियासी जमीन को अपने पाले में लाने में जुटे हैं। चंद्रशेखर बसपा को विकल्प बनकर सपा को टक्कर देने के प्रयास में लगें हैं। इसी कारण उन्होंने नगीना सीट पर भी फोकस कर रखा है।

नगीना लोकसभा सीट 2009 मेंअस्तित्व में आई

नगीना लोकसभा सीट रिजर्व है और सभी पार्टियों के प्रत्याशी दलित वर्ग से ही हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं जिनमें नहटौर, नजीबाबाद, नगीना, धामपुर और नूरपुर शामिल हैं। नगीना लोकसभा सीट 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद में साल 2009 में यह सीट अस्तित्व में आई थी। इससे पहले यह सीट बिजनौर लोकसभा सीट का हिस्सा थी। प्रदेश में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। जिनमें से एक नगीना लोकसभा सीट भी है।

नगीना लोकसभा सीट पर मतदाता

नगीना लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख मतदाता हैं।

मुस्लिम मतदाताः लगभग 46 प्रतिशत हैं

दलित मतदाताः 21 प्रतिशत हैं

नगीना लोकसभा सीट से चुने गए सांसद (2009-2014)

साल 2014 के चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर यशवंत ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने सपा प्रत्याशी यशवीर सिंह को हराया था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर महागठबंधन से बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र के सामने भाजया ने यशवंत को ही उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वह हार गए। बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र ने यहां 1,67,000 मतों से जीते थे। वहीं 2009 में इस सीट पर सपा के यशवीर सिंह ने जीत दर्ज की थी।

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