Friday, October 10, 2025
Homeभारतमुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के रास्ते में खाने-पीने की दुकानों पर मालिक...

मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के रास्ते में खाने-पीने की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के निर्देश

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले खाने-पीने की दुकानों, ठेलों आदि पर इसके मालिक का नाम लिखने को कहा है। मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने यह निर्देश मंगलवार को मीडिया से बात करने के दौरान जारी किए।

अभिषेक सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘कांवर यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हमारे अधिकार क्षेत्र में लगभग 240 किमी है, जहां से कांवड़ यात्रा गुजरेगी। ऐसे में सभी भोजनालयों- होटल, ढाबा, ठेले पर मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कांवरियों के बीच कोई भ्रम न हो और भविष्य में कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगे, जिससे कई बार कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है। हर कोई अपनी मर्जी से इसका पालन कर रहा है।’

इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में मुजफ्फरनगर से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने कांवड़ यात्रा की तैयारियों को लेकर एक बैठक की थी। उन्होंने तब कहा था कि हालांकि उन्हें इलाके में मुसलमानों के व्यवसाय चलाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसी भी टकराव से बचने के लिए उन्हें अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए।

स्वामी यशवीर महाराज ने रखी थी ऐसी मांग

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल मुजफ्फरनगर के बघरा में एक प्रमुख आश्रम के स्वामी यशवीर महाराज ने यह मांग रखी थी कि मुस्लिम व्यापारी अपनी दुकानों और होटलों पर अपना नाम प्रदर्शित करें।

दूसरी ओर मुजफ्फनगर में कई होटलों और ढाबों आदि मालिकों ने स्वीकार किया कि आदेशों को लागू किया जाने लगा है। खतौली में एक चाय की दुकान के मालिक ने कहा कि उसने अपनी दुकान का नाम चाय लवर्स पॉइंट से बदलकर वकील साहब टी स्टॉल रख दिया है। उसने दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि यह पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं है, इसलिए उसने इसे फिर से बदलकर ‘वकील अहमद टी स्टॉल’ कर दिया।

सोशल मीडिया पर भी कुछ वीडियो सामने आ रहे हैं। इसमें फल आदि के ठेले लगाने वाले भी उस पर अपना नाम प्रदर्शित कर रहे हैं।

फैसले पर सवाल भी उठ रहे

मुजफ्फरनगर प्रशासन के फैसले को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इन निर्देशों की तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और जर्मनी में हिटलर के तानाशाही फैसले से करते हुए कहा कि इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम ‘जूडेनबॉयकॉट’ था। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पुलिस अधिकारी के कावड़ यात्रा की तैयारी के वीडियो पर रिप्लाई करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी।

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, ‘… और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जाँच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।’

गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा हर साल सावन के महीने में शुरू होते हैं। इस दौरान दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मार्ग का इस्तेमाल करते हुए बड़ी संख्या में कांवड़िये हरिद्वार गंगा जल के लिए पहुंचते हैं। यह यात्रा कांवड़िये अक्सर नंगे पैर करते हैं। इस महीने में सात्विक भोजन पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा