Friday, October 10, 2025
Homeभारतमुंबई में बढ़ी अवैध बांग्लादेशी, रोहिंग्या की संख्या...कम हो रही हिंदू आबादी:...

मुंबई में बढ़ी अवैध बांग्लादेशी, रोहिंग्या की संख्या…कम हो रही हिंदू आबादी: रिपोर्ट

मुंबई: बांग्लादेश और म्यांमार से आ रहे अवैध प्रवासियों की वजह मुंबई की राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है। यह दावा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक स्टडी के बाद आए नतीजों के आधार पर किया गया है।

‘मुंबई में अवैध अप्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण’ नाम से 118 पेज की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार अवैध प्रवासी कम कौशल वाली नौकरियों में अपनी जगह बना रहे हैं। इससे वेतन कम हो जाता है, जिससे स्थानीय निवासियों में नाराजगी फैल रही है।

न्यूज-18 के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे मुस्लिम अप्रवासी आबादी बढ़ रही है, जनसांख्यिकीय बदलाव से सांस्कृतिक असुरक्षाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे तनाव और सामाजिक विभाजन बढ़ता है। इस स्टडी/जांच के सारांश में कहा गया है कि शहर में सुरक्षा, रोजगार और सामुदायिक स्थिरता को संबोधित करने के लिए तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है।

मुंबई शहर पर बढ़ रहा बोझ

उपलब्ध आंकड़ों और फील्ड वर्क के आधार पर यह पता चलता है कि इस बढ़ते अवैध प्रवासियों के संकट ने पहले से ही दबाव झेल रहे इस शहर पर अत्यधिक बोझ डाल दिया है। यह भी बताया गया है कि इससे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और स्वच्छता जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर अत्यधिक प्रभाव पड़ रहा है। इन सेवाओं में स्थानीय निवासियों की पहुंच कम हो गई है और पब्लिक वेलफेयर भी खतरे में है।

मुंबई के डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हाल के दशकों में मुंबई में जनसांख्यिकीय बदलाव बेहद नाटकीय रहा है। हिंदू आबादी 1961 में 88 प्रतिशत थी जो अब घटकर 2011 में 66 प्रतिशत हो गई है। वहीं, इसी अवधि में मुस्लिम आबादी 8 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2051 के लिए कई अनुमान बताते है कि हिंदुओं की संख्या उस समय तक 54 प्रतिशत से नीचे गिर सकती है। वहीं, मुस्लिम आबादी लगभग 30 प्रतिशत तक जा सकती है। इसने बड़े पैमाने पर मराठी पहचान के संकट को भी बढ़ावा दिया है। इससे डर है कि इसका स्थानीय परंपराओं और मुंबई के सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ेगा।

टीआईएसएस (TISS) की इस रिपोर्ट के चैप्टर 9 में कहा गया है- ‘अवैध प्रवासन की जटिल गतिशीलता ने कई समस्याएं पैदा कीं जो स्थानीय आबादी और शहर के समग्र शासन को प्रभावित कर रही है। इन विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करना और मुंबई में अवैध मुस्लिम आप्रवासन से जुड़ी चुनौतियों को कम करने के लिए प्रभावी नीतिगत हस्तक्षेप करना जरूरी है।’

स्थानीयों के बीच ‘असुरक्षा’ की भावना

स्टडी से जुड़े जांचकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में कहा है, ‘हमारे अध्ययन से पता चलता है कि अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक सामाजिक-आर्थिक प्रतिस्पर्धा है। बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश में प्रवासी मुंबई में अक्सर निर्माण, घर के कामकाज और अनौपचारिक खरीद-बिक्री जैसे क्षेत्रों में कम-पेशेवर वाले पदों को भरते हैं।’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जबकि उनका श्रम महानगर की वित्तीय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रवासियों की अधिकता ने उन नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है जो पहले से ही दुर्लभ हैं, खासकर कम पेशेवर स्थानीय कर्मचारियों के लिए चुनौती बढ़ी है। इस स्थिति ने दोहरा प्रभाव पैदा किया है। एक तरफ, यह स्थानीय श्रमिकों के वेतन को कम कर देता है और प्रवासी समुदायों के प्रति नाराजगी को बढ़ावा देता है। राजनीतिक पार्टियां, संस्थाएं अक्सर इन भावनाओं का फायदा उठाती हैं, और धार्मिक जुड़ाव के कारण इन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं। इस तरह की बयानबाजी से समाज में अशांति फैलती है और, कई मामलों में, मूल निवासियों के प्रति हिंसा भी होती है।’

राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर

शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि अवैध घुसपैठ के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है। ऐसी चिंताएं इसलिए हैं क्योंकि प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा चरमपंथी समूहों से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण एजेंसियों की ओर से निगरानी भी बढ़ गई है।

इसके अतिरिक्त, ‘वोट बैंक की राजनीति’ की कहानी भी सामने आती हैं। कई प्रवासियों को कथित तौर पर जाली आईडी और अन्य दस्तावेज जारी करा दिए जाते हैं, जिससे वे अवैध रूप से चुनावों में भाग ले सकें। बता दें कि पांच सदस्यीय रिसर्च टीम ने प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर शंकर दास के नेतृत्व में शोध पूरा किया और रिपोर्ट इसी सप्ताह की शुरुआत में प्रकाशित हुई है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा