Friday, October 10, 2025
Homeभारतमुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा, अमेरिकी सुप्रीम...

मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाया जाएगा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण की मंजूरी दी

नई दिल्ली: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। राणा एक पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक है। राणा के वकील ने इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि में ‘अपराध’ की व्याख्या के आधार पर उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी नहीं देनी चाहिए।

अपील में कहा गया था कि ‘प्रत्यर्पण से दोहरे खतरे के सिद्धांत’ का उल्लंघन होगा, जो एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने से बचाता है। हालांकि, अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि अमेरिका में राणा भले ही मुंबई हमले के आरोपों से बरी हो चुका है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि भारत में उसके खिलाफ इसी मामले में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

अमेरिका की कई निचली अदालतें पहले ही राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे चुकी हैं। लंबी कानूनी लड़ाई हारने के बाद राणा ने 13 नवंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। राणा को दरअसल डेनमार्क के एक अखबार पर आतंकी हमले की साजिश में शामिल होने को लेकर अमेरिका में दोषी ठहराया जा चुका है और 14 साल जेल की सजा भी सुनाई गई थी।

लॉस एंजिल्स में जेल में बंद है तहव्वुर राणा

राणा को फिलहाल लॉस एंजिल्स के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखा गया है। भारत मुंबई हमलों में उसकी कथित भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाना चाहता है। भारत लंबे समय से अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है।

अमेरिकी सरकार ने पिछले साल उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत के अनुरोध का समर्थन किया था और सुप्रीम कोर्ट से राणा द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज करने की अनुशंसा की थी।

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को अस्वीकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘याचिका स्वीकार नहीं की जाती।’

अमेरिका के एफबीआई ने राणा को साल 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया था। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव के तौर पर भारत में काम कर रहा था। मुंबई हमले के मुख्य मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को राणा ने ही हमले की साजिश रचने, रेकी करने में मदद की थी। इसके सबूत भारत ने अमेरिका की कोर्ट में पेश किए थे, जिनमें राणा की संलिप्तता साफ दिखाई दी थी।

पाकिस्तानी सेना में काम कर चुका है तहव्वुर राणा

63 साल का तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक हैं। वह पूर्व में पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम कर चुका है। राणा 1990 के दशक में कनाडा चला गया था, जहां उसे बाद में नागरिकता मिल गई। बाद में वह अमेरिका गया, जहां सने शिकागो में एक इमिग्रेशन कंस्लटेंसी- ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ खोली। राणा का दोस्त डेविड हेडली (पूर्व में दाउद गिलानी) उन लोगों में से एक है, जिसे उसे अपराध की दुनिया की ओर प्रेरित किया।

हेडली को 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए लोकेशन का पता लगाने में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद अमेरिकी अभियोजकों ने हेडली से मिली जानकारी के आधार पर राणा को 2009 में गिरफ्तार किया। राणा के इमिग्रेशन कंस्लटेंसी के माध्यम से ही हेडली ने मुंबई में संभावित हमले वाले स्थानों की पहचान की और खुफिया जानकारी इकट्ठा की। राणा को हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के आरोप में अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था।

अमेरिका से भारत तक…तहव्वुर राणा पर क्या आरोप हैं?

2008 के मुंबई हमलों में डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा की सहायता के अलावा तहव्वुर राणा पर कुछ और आरोप भी हैं। हेडली ने मुबई हमलों से पहले राणा के इमिग्रेशन कंस्लटेंसी के कर्मचारी के तौर पर भारत का दौरा किया था। उसने मुंबई में ताज होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल जैसे कई अहम स्थानो की टोह ली थी, जहां बाद में हमले किए गए।

मुंबई हमले में हेडली की सहायता के अलावा राणा पर डेनमार्क के एक अखबार पर हमला करने की नाकाम साजिश में भी शामिल रहने का आरोप है। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मुहम्मद पर कुछ विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे।

साल 2011 में राणा पर अमेरिका में मुकदमा चलाया गया और डेनमार्क के अखबार पर हमला करने की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा को सहायता करने का दोषी ठहराया गया। हालाँकि, अमेरिकी जूरी ने उसे मुंबई हमलों में प्रत्यक्ष संलिप्तता से बरी कर दिया था। राणा को 14 साल की सजा अमेरिकी कोर्ट ने सुनाई। इसके बाद उसे पांच साल की निगरानी में रहते हुए रिहाई की मंजूरी दी गई थी।

राणा के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि हेडली ने उसे धोखा दिया और कथित तौर पर उसे अनजाने में आतंकवादी साजिशों में सहायता करने के लिए प्रेरित किया था। वहीं, हेडली ने एक दलील समझौते के हिस्से के रूप में राणा के खिलाफ गवाही दी, जिससे उसे मौत की सजा से बचने की अनुमति मिल गई। डेविड हेडली को 2013 में अमेरिका में 35 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा