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600 से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना से खुद को किया बाहर, लिस्ट में सबसे ऊपर गुजरात

साल 2018 में शुरू हुई भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लेकर रिपोर्ट सामने आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक 600 से अधिक प्राइवेट अस्पतालों ने स्वेच्छा से इससे बाहर होने का फैसला किया है। इन अस्पतालों ने देरी से भुगतान और कम रिम्बर्समेंट रेट जैसे कारणों का हवाला देते हुए योजना से खुद को अलग कर लिया है।

आयुष्मान भारत योजना से खुद को बाहर करने वाले अस्पताल ज्यादातर गुजरात के हैं। यहां 233 अस्पतालों ने योजना से बाहर होने का फैसला किया। इसके बाद केरल में 146 और महाराष्ट्र में 83 अस्पतालों ने भी इसी तरह का कदम उठाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा राज्यसभा में शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल 609 प्राइवेट अस्पताल अब तक इस योजना से बाहर हो चुके हैं। यह स्थिति उस योजना के लिए चिंता का विषय बन गई है, जिसका उद्देश्य देश के 10 करोड़ परिवारों या लगभग 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना है।

स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों की संख्या में उछाल

स्वास्थ्य मंत्रालय के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के लाभार्थियों की संख्या 2019-20 में 34.2 लाख से 39 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 47.6 लाख हो गई है। इस बीच, सीजीएचएस के तहत लिस्टेड निजी अस्पतालों को रीइंबर्समेंट 2019-20 में 24 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में लगभग 60 प्रतिशत हो गई है। पिछले साल दिसंबर में सीजीएचएस ने लिस्टेड अस्पतालों को एक सलाह जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि निदेशालय के ध्यान में आया है कि कुछ स्वास्थ्य सेवा संगठन ‘बिल जमा करते समय धोखाधड़ी की गतिविधियों में लिप्त हैं।’ साथ ही अधिक शुल्क लेने, उपचार करने से मना करने और दूसरी शिकायतों की भी रिपोर्ट की गई है।

सीजीएचएस पर 2019-20 और 2023-24 के बीच कुल खर्च में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। यह वेलनेस सेंटर और लिस्टेड अस्पतालों के बड़े नेटवर्क के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है, जिसमें परामर्श, उपचार, निदान और दवाएं शामिल हैं, जो सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करता है।

लाभार्थी  बढ़कर 47.6 लाख हुए

इस बीच, ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, अब 76 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एबीएचए) आईडी है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) का एक प्रमुख घटक एबीएचए, एक खाता/संख्या है, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति के सभी स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ने के लिए किया जाता है। एबीएचए का उद्देश्य लाभार्थियों के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम करना और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार करना है।

लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, मार्च में अब तक 55,10,259 ‘आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट’ खाते खोले गए, जिनमें से 1,67,257 बुधवार को खोले गए। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1,319.1 लाख स्वास्थ्य खाते हैं, उसके बाद 623.8 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ राजस्थान और 585.9 लाख स्वास्थ्य खातों के साथ महाराष्ट्र का नाम आता है। एबी-पीएमजेएवाई दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसने हाल ही में देश में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज देकर अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब अनुमान है कि 2050 तक भारत की बुजुर्ग आबादी दोगुनी हो जाएगी और इससे वृद्धावस्था देखभाल की मांग बढ़ेगी। 2050 तक भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के बुजुर्ग होने की उम्मीद है।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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