Friday, October 10, 2025
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बांग्लादेश में फिर उत्पात, रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर भीड़ ने किया हमला

ढाका: नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के बांग्लादेश में मौजूद पैतृक घर पर भीड़ ने हमला कर इसे नुकसान पहुंचाया है। बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में ऐतिहासिक कचहरीबाड़ी में यह घर स्थित है। यहां मौजूद संग्रहालय को घुमने आए एक शख्स और म्यूजियम के कर्मचारी के बीच हुए विवाद के बाद भीड़ ने यहां तोड़फोड़ की। 

इस बीच अधिकारियों ने घटना की जांच शुरू कर दी है और अस्थायी रूप से साइट को आम जनता के लिए बंद कर दिया है। टैगोर ने अपनी कई रचनाएं इसी घर में लिखी। अहम बात ये भी है कि टैगोर की ही एक रचना ‘आमार सोनार बांग्ला’ बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हंगामा तब शुरू हुआ जब एक शख्स अपने परिवार के साथ रवींद्र कचहरीबाड़ी, जिसे रवींद्र स्मारक संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है, वहां घुमने पहुंचा। कथित तौर पर मोटरसाइकिल की पार्किंग शुल्क को लेकर प्रवेश द्वार पर शख्स का कर्मचारियों के साथ विवाद हुआ। इसी दौरान तनाव बढ़ गया और शख्स को कथित तौर पर एक कार्यालय के कमरे में बंद कर दिया गया। उसे कर्मचारियों द्वारा पीटे जाने की भी बातें स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में हैं।

बताया जा रहा है कि इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश फैला। मंगलवार को कुछ लोगों ने घटना के विरोध में मानव श्रृंखला बनाई और प्रदर्शन किया। इसी दौरान भीड़ उग्र हो गई म्यूजियम परिसर पर धावा बोल दिया। कचहरीबाड़ी के सभागार में तोड़फोड़ की गई और संस्थान के निदेशक पर भी हमला किया गया।

मामले की जांच के लिए समिति गठित

घटना के बाद पुरातत्व विभाग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति को पांच दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
 
इस बीच पत्रकारों से बात करते हुए कचहरीबाड़ी के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने कहा कि ‘अपरिहार्य परिस्थितियों’ के कारण इस जगह को आगंतुकों के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पूरा परिसर अब आधिकारिक निगरानी में है। 

बांग्लादेश के राजशाही डिवीजन के शहजादपुर में स्थित कचहरीबाड़ी टैगोर परिवार का ऐतिहासिक निवास और पूर्व राजस्व कार्यालय दोनों रहा है। रवींद्रनाथ टैगोर ने इस जगह पर काफी समय बिताया है और अपनी कई प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों की रचना भी यहां की। तब से इस हवेली को टैगोर के जीवन और विरासत को समर्पित एक सांस्कृतिक विरासत स्थल और संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया है।

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