Friday, October 10, 2025
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परिसीमन को लेकर मचे बवाल के बीच एमके स्टालिन ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

चेन्नईः तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने पीएम मोदी ने परिसीमन के मुद्दे को लेकर जारी विवाद के बाद बैठक की मांग की है। स्टालिन द्वारा यह मांग उस वक्त हो रही है जब हाल ही में विपक्षी दलों की इस मुद्दे को लेकर बैठक हुई थी। इसमें केरल के सीएम पिनरई विजयन, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी समेत कई नेता शामिल हुए थे। 

27 मार्च को लिखे इस पत्र को स्टालिन ने आज सुबह सार्वजनिक रूप से साझा किया। इसमें स्टालिन ने कहा था उन्होंने विभिन्न दलों के सांसदों के साथ मिलकर पीएम मोदी से बैठक का अनुरोध किया है ताकि “परिसीमन पर ज्ञापन” प्रस्तुत किया जा सके।

दक्षिणी राज्यों की चिंता

तमिलनाडु समेत अन्य दक्षिणी राज्यों को यह चिंता है कि जनसंख्या नियंत्रण में उनकी सफलता के कारण परिसीमन प्रक्रिया में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है और संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।

स्टालिन ने कहा कि 22 मार्च को संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक हुई थी जिसमें ‘निष्पक्ष परिसीमन’ को लेकर बात की गई थी। इस बैठक में कई राज्यों के सीएम के साथ उनके डिप्टी सीएम और अन्य राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं ने भी भाग लिया था। 

पीएम मोदी को लिखे पत्र में स्टालिन ने लिखा “हमारे विचार-विमर्श से उभरने वाली आवाजें राजनीतिक सीमाओं से परे हैं तथा उनमें विविध क्षेत्रों के नागरिकों की चिंताएं शामिल हैं जो हमारे संसदीय लोकतंत्र में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व चाहते हैं। चूंकि यह हमारे राज्यों और नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं संयुक्त कार्रवाई समिति की ओर से आपसे औपचारिक रूप से ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए एक बैठक का अनुरोध करता हूं। “

इस बैठक में एक संकल्प पास हुआ जिसमें परिसीमन को लेकर प्रस्तावित प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी दर्शाई गई थी। इसमें राज्य सरकारों, नागरिक समाज के लोगों और नागरिकों तथा राजनीतिक दलों को शामिल करते हुए बातचीत का आह्वान किया गया था। 

क्या है परिसीमन प्रक्रिया?

दरअसल, परिसीमन ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व तय किया जाता है। इसके लिए जनसंख्या को आधार बनाया जाता है। ऐसे में अगला परिसीमन जनगणना के बाद होने की संभावना है। दक्षिणी राज्यों को चिंता है कि इससे उनके राज्यों में प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा और उत्तरी राज्यों में को लाभ होगा। 

संसद में प्रतिनिधित्व कम होने से राजनैतिक रूप से उनकी हिस्सेदारी कम होगी। 

स्टालिन जो कि विपक्ष की एक मुखर आवाज के रूप में बोलते रहे हैं। उन्होंने जेएसी की बैठक में  “निष्पक्ष परिसीमन” की बात कही थी और सुझाव दिया था कि यह सांसदों की संख्या के बारे में नहीं बल्कि राज्यों के अधिकार के बारे में भी है। इसे लेकर स्टालिन ने मणिपुर राज्य का उदाहरण भी दिया था। 

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