Friday, October 10, 2025
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नीति आयोग की बैठक में सीएम स्टालिन ने मांगा 50% कर हिस्सा, केंद्र से की जल्द फंड जारी करने की मांग

नई दिल्ली में शनिवार को नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के सामने अपनी-अपनी मांगों और योजनाओं को पुरजोर ढंग से रखा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जहां केंद्र पर तमिलनाडु को समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत 2,200 करोड़ रुपये की राशि नहीं देने का आरोप लगाया, वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने ‘विकसित भारत @2047’ को गति देने के लिए राज्यों के तीन विशेष उप-समूह बनाने का सुझाव दिया।

स्टालिन ने शिक्षा फंड रोकने पर जताई नाराजगी

मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कहा कि केंद्र द्वारा एसएसए योजना के तहत तमिलनाडु के लिए तय 2,200 करोड़ रुपये की राशि 2024–25 में रोक दी गई है। यह फैसला राज्य द्वारा ‘पीएम श्री’ योजना के तहत एमओयू पर हस्ताक्षर न करने के कारण लिया गया, जिससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

उन्होंने कहा, “संघीय ढांचे के लिहाज से यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यों को अपने अधिकार के लिए अदालत का रुख करना पड़ रहा है। इससे न केवल राज्यों का बल्कि पूरे देश का विकास प्रभावित होता है।” स्टालिन ने केंद्र से बिना शर्त और जल्द से जल्द फंड जारी करने की मांग की। उन्होंने केंद्र से अपनी हिस्सेदारी को वर्तमान 33.16 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की भी मांग दोहराई।

स्टालिन ने शहरी विकास के लिए अमृत 2.0 जैसी नई योजना, कावेरी, वैगई और थामिरबरणी नदियों के लिए ‘क्लीन गंगा’ जैसी परियोजना और योजनाओं के लिए “अंग्रेजी नामों” के प्रयोग का सुझाव दिया, जिससे “राष्ट्रीय एकरूपता और क्षेत्रीय गौरव” दोनों सुनिश्चित हो सकें। उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु की ‘द्रविड़ मॉडल’ सरकार वर्ष 2030 तक राज्य को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अग्रसर है।

नायडू का सुझाव- तीन उप-समूह बनाकर राष्ट्रीय विकास को गति दें

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नीति आयोग से आग्रह किया कि देश के तेज विकास के लिए तीन विशेष उप-समूह बनाए जाएं। पहला उप-समूह विकास और निवेश पर केंद्रित हो, जो जीडीपी वृद्धि, निर्माण, निर्यात और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) परियोजनाओं में केंद्रीय सहयोग सुनिश्चित करे।

दूसरा समूह जनसंख्या प्रबंधन से जुड़ा हो, जो युवा जनसंख्या का बेहतर उपयोग करते हुए आने वाली जनसांख्यिकीय चुनौतियों जैसे वृद्धावस्था और घटती प्रजनन दर से निपटने की रणनीति बनाए।

तीसरा उप-समूह तकनीक-आधारित प्रशासन पर केंद्रित हो, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से वास्तविक समय में नागरिकों को केंद्र में रखकर सेवाओं का प्रभावी वितरण सुनिश्चित करे।

प्रधानमंत्री मोदी ने नायडू की इन योजनाओं की सराहना की और अन्य राज्यों से आंध्र प्रदेश के मॉडल से सीखने की अपील की। नायडू ने पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और ऑपरेशन सिंदूर में सशस्त्र बलों की तत्परता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री के नेतृत्व की तारीफ की।

तेलंगाना की मेट्रो विस्तार से लेकर डिफेंस कॉरिडोर तक की मांग

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर हैदराबाद मेट्रो रेल फेज-II (24,269 करोड़ रुपये), क्षेत्रीय रिंग रोड, सेमीकंडक्टर मिशन और डिफेंस कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति देने का आग्रह किया।

रेड्डी ने बताया कि सेमीकंडक्टर सेक्टर में तेलंगाना पहले से मजबूत स्थिति में है, जहां एएमडी, क्वालकॉम, एनवीडिया जैसे वैश्विक ब्रांडों के आर एंड डी सेंटर हैं। उन्होंने डिफेंस निर्माण में हैदराबाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए केंद्र से नीति समर्थन और ‘DefExpo’ की अगली मेजबानी का अनुरोध भी किया।

गैर-हाजिर रहे कुछ मुख्यमंत्री

बैठक से कांग्रेस शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी गैर-हाजिर रहे। सिद्धारमैया ने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए भाषण भेजा जिसे बैठक में पढ़ा गया, जबकि विजयन ने वित्त मंत्री केएन बालगोपाल को भेजा। रंगासामी की अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट नहीं किया गया।

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