Friday, October 10, 2025
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तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर जारी विवाद में स्टालिन ने केंद्र से पूछा– उत्तर भारत में क्यों नहीं है तमिल प्रचार संस्था?

चेन्नईः तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन-भाषा फार्मूले को लेकर जारी विवाद लगाता बढ़ता ही जा रहा है। मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है।

राज्य में हिंदी थोपने का आरोप लगा चुके स्टालिन ने सवाल किया कि जब दक्षिण भारत में हिंदी सिखाने के लिए संस्थान मौजूद हैं, तो उत्तर भारत में तमिल या अन्य दक्षिण भारतीय भाषाएं सिखाने के लिए कोई संस्था क्यों नहीं बनाई गई।

डीएमके प्रमुख ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा कि “गूगल ट्रांसलेट, चैटजीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें भाषा की बाधाओं को दूर करने में मदद कर रही हैं। ऐसे में छात्रों को केवल जरूरी तकनीक सिखाना फायदेमंद होगा, जबकि किसी भाषा को जबरन थोपना उनके लिए सिर्फ बोझ बन जाएगा।”

गांधी का जिक्र

इस भाषा विवाद में स्टालिन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कोट किया। उन्होंने कहा कि गांधीजी मानते थे कि अगर दक्षिण भारतीय लोग हिंदी सीखें और उत्तर भारतीय लोग दक्षिण भारतीय भाषाओं में से कोई भाषा सीखें, तो इससे राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी। गांधीजी की इसी सोच को पूरा करने के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की गई थी। इस सभा के मुख्यालय चेन्नई में हैं और दक्षिण भारत में इसके 6,000 से ज्यादा केंद्र हैं।

गौरतलब है कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना 1918 में महात्मा गांधी ने दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार के लिए की थी। इसे 1964 में संसद द्वारा राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित किया गया। संस्था के पहले प्रचारक गांधीजी के बेटे देवदास गांधी थे।

उत्तर भारत में तमिल प्रचार संस्था क्यों नहीं?

स्टालिन ने नाम लिए बिना केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, “क्या उत्तर भारत में ‘उत्तर भारत तमिल प्रचार सभा’ या ‘द्रविड़ भाषा सभा’ जैसी कोई संस्था है, जो लोगों को दक्षिण भारतीय भाषाएं सिखाने के लिए बनाई गई हो?”

भाजपा पर हमला तेज करते हुए स्टालिन ने कहा कि जो लोग गंगा किनारे संत कवि तिरुवल्लुवर की मूर्ति स्थापित करने का दावा करते हैं, उन्होंने उसे कचरे के ढेर में फेंक दिया। ऐसे लोग तमिल भाषा के प्रचार के लिए संस्था स्थापित करेंगे, इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि “जो लोग गोडसे के रास्ते पर चलते हैं, वे कभी भी गांधी के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकते।”

हिंदी के नामकरण पर सवाल

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राज्य में चलने वाली ट्रेनों को हिंदी-संस्कृत नाम देकर तमिल और अन्य भाषाओं को खत्म करने की गुप्त योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि “ऐसी योजनाओं का विरोध करने की ताकत केवल द्रविड़ आंदोलन के पास है।”  

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की तीन-भाषा नीति को लेकर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार केंद्र को चेतावनी दे चुकी है। डीएमके ने राज्य में हिंदी थोपना की कोशिश का आरोप लगाते हुए केंद्र को “एक और भाषा युद्ध” के लिए तैयार रहने की चुनौती दे दी है।

 

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