भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए मिग-21 का युग समाप्त हो गया। 1960 के दशक में शामिल होकर भारत के पहले सुपरसोनिक फाइटर और इंटरसेप्टर के रूप में इतिहास रचने वाले इस विमान ने 62 वर्षों तक देश की रक्षा में खास भूमिका निभाई। शुक्रवार को चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन पर आयोजित सेवामुक्ति समारोह में 23 स्क्वाड्रन के अंतिम मिग-21 जेट (पैंथर्स) को भावपूर्ण विदाई दी गई।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कॉल साइन बादल 3 के साथ पैंथर्स की अंतिम उड़ान भरी, जो इस विमान को भावनात्मक विदाई देने का प्रतीक था। उड़ान के दौरान आकाश गंगा स्काइडाइव टीम ने 8,000 फीट की ऊंचाई से शानदार छलांग लगाई, वहीं सूर्य किरण एरोबेटिक टीम और एयर वारियर ड्रिल टीम ने दर्शकों को अपने प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध कर दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मिग-21 को सिर्फ एक विमान नहीं बल्कि भारत और रूस के गहरे संबंधों का प्रतीक और ‘मजबूत मशीन, राष्ट्रीय गौरव और रक्षा ढाल’ बताया। उन्होंने इसे भारतीय वायुसेना की आत्मविश्वास और प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि “मिग-21 कई वीरतापूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा। 1971 के युद्ध, 1999 का कारगिल संघर्ष, 2019 का बालाकोट एयरस्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर- हर ऐतिहासिक मिशन में इसने तिरंगे का मान बढ़ाया।”
राजनाथ सिंह ने कहा, “जब भी ऐतिहासिक मिशन हुए हैं, हर बार मिग-21 ने तिरंगे का सम्मान बढ़ाया है। इसलिए, यह विदाई हमारी सामूहिक यादों की, हमारे राष्ट्रीय गौरव की और उस यात्रा की भी है जिसमें साहस, बलिदान और उत्कृष्टता की कहानी लिखी गई है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि भारतीय वायुसेना 60 साल पुराने विमान उड़ाती रही। मैं इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण तथ्य स्पष्ट करना चाहता हूँ। 1960 और 1970 के दशक में हमारी सशस्त्र सेनाओं में शामिल मिग-21 विमान लंबे समय से सेवा से बाहर हैं। अब तक हम जो मिग-21 उड़ाते रहे, वे अधिकतम 40 वर्ष पुराने थे। ऐसे विमानों के लिए 40 वर्ष का जीवनकाल पूरी तरह सामान्य है। कई देशों में इसी अवधि तक ऐसे लड़ाकू विमान सक्रिय रखे जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “मिग-21 की एक खास बात यह है कि इसे हमेशा तकनीकी रूप से अपडेट रखा गया। वर्तमान रूप में देखा जाने वाला मिग-21 ट्रिशूल, विक्रम, बादल और बाइसन जैसे नामों से भी जाना गया। इसकी तकनीकी क्षमताओं को लगातार अपडेट रखने में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने आधुनिक राडार और एवियोनिक्स के माध्यम से इसे अद्यतन रखा।”
रक्षा मंत्री ने मिग-21 के देश और वायुसेना के साथ भावनात्मक जुड़ाव को भी साझा किया। उन्होंने कहा, “मिग-21 हमारे देश की यादों और भावनाओं में गहराई से बसा हुआ है। 1963 में जब यह पहली बार हमारे साथ शामिल हुआ, तब से आज तक यह 60 वर्षों से अधिक की यात्रा अपने आप में अनूठी रही। हमारे लिए यह केवल एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि परिवार का एक सदस्य है, जिसके साथ हमारा गहरा लगाव रहा। मिग-21 ने हमारा आत्मविश्वास बनाया, हमारी रणनीति को मजबूत किया और हमें वैश्विक मंच पर स्थापित करने में मदद की। इस लंबी यात्रा में इस विमान ने हर चुनौती का सामना किया और हर बार अपनी क्षमता साबित की।”
समारोह में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी और बीएस धनोआ, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। सभी ने मिग-21 के साथ बिताए अपने अनुभव साझा किए। उड़ान भरने वाले पायलटों में स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी शामिल थीं, जो मिग-21 उड़ानें वाली आखिरी महिला लड़ाकू पायलट हैं।
मिग-21 ने भारतीय वायुसेना की ताकत का केंद्र रहकर 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों, 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक में निर्णायक भूमिका निभाई। विशेष रूप से बालाकोट मिशन के दौरान इस विमान ने पाकिस्तानी एफ-16 विमान को मार गिराया। दशकों तक यह विमान भारतीय पायलटों के प्रशिक्षण का भी अभिन्न हिस्सा रहा। हालांकि कुछ दुर्घटनाओं के कारण इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ की उपाधि भी मिली, फिर भी यह विमान दृढ़ता और बहुमुखी क्षमताओं का प्रतीक बना रहा।
भारतीय वायुसेना ने सोशल मीडिया पर मिग-21 को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियां, एक योद्धा जिसने राष्ट्र के गौरव को आसमान में पहुंचाया।” बता दें कि मिग-21 की जगह देश में बना हल्का लड़ाकू विमान तेजस लेगा।