Homeसाइंस-टेकMicrosoft की दूसरी सबसे बड़ी छंटनी, 6,000 लोग होंगे प्रभावित

Microsoft की दूसरी सबसे बड़ी छंटनी, 6,000 लोग होंगे प्रभावित

नई दिल्लीः दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने ले-ऑफ की घोषणा की है। इसके मुताबिक, कंपनी अपने वैश्विक कार्यबल में तीन प्रतिशत की घोषणा करने का विचार कर रही है। कंपनी की इस घोषणा से बड़े स्तर पर सभी स्तर के कर्मचारी प्रभावित होंगे। इनकी संख्या 6,000 के करीब हो सकती है। 

कंपनी द्वारा छंटनी करने का उद्देश्य प्रबंधन स्तरों को कम करना तथा संचालन को सुव्यवस्थित करना है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बीते साल जून तक कंपनी में 2,28,000 कर्मचारी कार्यरत थे। 

Microsoft के प्रवक्ता ने क्या बताया?

माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता ने इस बाबत सीएनबीसी को एक बयान जारी कर कहा कि “हम गतिशील बाजार में सफलता के लिए कंपनी को सर्वोत्तम स्थिति में लाने के लिए आवश्यक संगठनात्मक परिवर्तनों को लागू करना जारी रखते हैं।”

इससे पहले कंपनी ने साल 2023 में बड़े स्तर पर छंटनी की थी जिसमें कुल 10,000 लोगों को निकाला गया था। इस साल जनवरी में भी कंपनी ने कर्मचारियों के प्रदर्शन के आधार पर छंटनी की थी। हालांकि, अभी जो छंटनी की जा रही है उसे कंपनी ने प्रकृति में संरचनात्मक बताया है। 

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कंपनी द्वारा यह कटौती कंपनी में मध्य स्तर पर प्रबंधन के रोल को प्रभावित कर सकती है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि प्रबंधक की नियंत्रण सीमा को बढ़ाकर अधिक व्यवस्थित पदानुक्रम बनाना चाहती है। 

60 दिनों का मिलेगा वेतन

दरअसल माइक्रोसॉफ्ट कंपनी इंजीनियरिंग प्रतिभा को बढ़ावा देना चाहती है क्योंकि कंपनी ने एआई के क्षेत्र में काफी निवेश किया है। 
इस संबंध में बिजनेस इनसाइडर ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि निकाले गए कर्मचारी 60 दिनों तक पेरोल पर बने रहेंगे। इसके साथ ही वे कर्मचारी कथित तौर पर पुरस्कारों और बोनस के लिए प्रभावित होंगे। 

माइक्रोसॉफ्ट में कर्मचारियों की संख्या में कटौती कंपनी के प्रदर्शन प्रबंधन पद्धति में हुए आमूलचूल परिवर्तनों के बाद हो रही है। बिजनेस इंसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों को प्रदर्शन के आधार पर बाहर किया गया है कंपनी उन्हें अगले दो साल तक कंपनी में नहीं लेगी। 

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दरअसल इन दिनों टेक कंपनियों में यह ट्रेंड देखा जा रहा है कि मैनेजर स्तर के रोल में कटौती की जा रही है। वहीं, कंपनियां इंजीनियर और मैनेजर के स्तर को बनाए रखना चाहती हैं। 

गूगल (Google) और अमेजन जैसी कंपनियां भी कुछ ऐसे ही कदम उठा रही हैं। 

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