वॉशिंगटन: टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने गाजा में चल रहे युद्ध को लेकर कंपनी से ही विरोध कर रहे अपने चार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इनमें से दो कर्मचारी तो इस हफ्ते कंपनी के प्रेसिडेंट के ऑफिस में ही धरने पर बैठ गए थे।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोटेस्ट करने वाले संगठन ‘नो अज्योर फॉर अपार्थाइड’ ने बताया कि दो कर्मचारी, अन्ना हैटल और रिकी फामेली, जिन्हें कंपनी के प्रेसिडेंट के ऑफिस में धरना देने के बाद गिरफ्तार किया गया था, उन्हें वॉइसमेल मैसेज भेजकर बताया गया कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है। इसके बाद दो और कर्मचारियों, निसरीन जारादत और जूलियस शान को भी नौकरी से निकाल दिया गया। ये सभी कर्मचारी हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के हेडक्वार्टर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी सफाई में कहा कि इन कर्मचारियों ने कंपनी की नीतियों का गंभीर उल्लंघन किया था और इन प्रदर्शनों से सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हुई थीं।
क्या है विरोध की असली वजह?
रिपोर्ट के मुताबिक, यह विरोध ‘नो अज्योर फॉर अपार्थाइड’ ग्रुप ने शुरू किया है। यह ग्रुप चाहता है कि माइक्रोसॉफ्ट इजराइल के साथ अपने सारे संबंध खत्म करे और फिलिस्तीनियों को हर्जाना दे।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट इजराइल को ऐसे उपकरण दे रहा है जिनकी मदद से वह ‘नरसंहार’ कर रहा है। हैटल ने एक बयान में कहा, “हम यहाँ हैं क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट इजराइल को ऐसे उपकरण मुहैया कराना जारी रखे हुए है, जिनकी उसे नरसंहार करने के लिए जरूरत है।”
हाल ही में एक मीडिया जाँच में यह भी पता चला था कि इजराइल की एक सैन्य निगरानी एजेंसी फिलिस्तीनियों के फोन कॉल रिकॉर्ड करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के अज्योर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है। यह जाँच गार्जियन, इजराइली-फिलिस्तीनी प्रकाशन +972 मैगजीन और हिब्रू भाषा के लोकल कॉल ने मिलकर की थी।
यह पहली बार नहीं है जब माइक्रोसॉफ्ट के कर्मचारियों ने कंपनी के इजराइल से संबंधों का विरोध किया है। इससे पहले अप्रैल में भी ऐसे ही एक प्रदर्शन के बाद दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था।
क्यों हो रहे हैं दुनिया भर में विरोध?
यह विवाद अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ था, जब हमास के लड़ाकों ने इजराइल पर हमला किया, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और करीब 250 को बंधक बना लिया गया। इसके जवाब में इजराइल ने गाजा पर हमला किया, जिसमें अब तक हजारों फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस हमले से गाजा में भूख का संकट पैदा हो गया है और पूरी आबादी को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। अंतरराष्ट्रीय अदालतों में इजराइल पर युद्ध अपराधों और नरसंहार के आरोप भी लगाए गए हैं, जिन्हें इजराइल खारिज करता रहा है। इसके चलते दुनिया भर की कई कंपनियों और शिक्षण संस्थानों को इजराइल के साथ उनके संबंधों को लेकर विरोध का सामना करना पड़ रहा है।