Thursday, October 9, 2025
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एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव के बाद टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को दिया 24 घंटे के भीतर लौटने का निर्देश

इस घोषणा के बाद अमेरिका में सूचीबद्ध प्रमुख भारतीय आईटी सेवा फर्मों के शेयरों में 2 से 5 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। आलोचकों का तर्क है कि यह नया शुल्क प्रतिभा की आवाजाही में बाधा डालेगा और अमेरिका में नवाचार को रोकेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा फैसले ने भारत समेत दुनिया भर के आईटी प्रोफेशनल्स और टेक कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की सालाना फीस लगाने का नियम लागू कर दिया है। यह नियम 21 सितंबर से प्रभावी होगा और फिलहाल 12 महीने तक लागू रहेगा।

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद अमेरिका के प्रमुख तकनीकी फर्मों जैसे माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन ने अपने एच-1बी और एच-4 वीजा धारक कर्मचारियों को 21 सितंबर की समय सीमा से पहले तुरंत अमेरिका लौटने की सलाह दी है। साथ ही अगले आदेश तक अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने को भी कहा है। माइक्रोसॉफ्ट ने एच-4 वीजा धारकों को भी अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। हालांकि, इन कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

वहीं, रॉयटर्स के अनुसार, अमेजन (Amazon) ने अपने एच-1बी और एच-4 वीज धारक कर्मचारियों को अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने अपने नोटिस में कहा है कि अगर आप एच-1बी स्टेटस में हैं और अमेरिका में हैं, तो अभी देश में ही रहें। कंपनी ने यह भी सलाह दी है कि एच-1बी और एच-4 वीजा धारक 21 सितंबर को रात 12:00 बजे (EDT) से पहले अमेरिका लौट आएं।

इस घोषणा के बाद अमेरिका में सूचीबद्ध प्रमुख भारतीय आईटी सेवा फर्मों के शेयरों में 2 से 5 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। आलोचकों का तर्क है कि यह नया शुल्क प्रतिभा की आवाजाही में बाधा डालेगा और अमेरिका में नवाचार को रोकेगा।

गौरतलब है कि करीब 71% एच-1बी वीजा धारक भारतीय हैं, जो ज्यादातर आईटी और टेक कंपनियों जैसे इंफोसिस, विप्रो, कॉग्निज़ेंट और टीसीएस में काम करते हैं। नए नियम से इन प्रोफेशनल्स और कंपनियों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। सामान्य तौर पर एच-1बी वीजा तीन साल के लिए मान्य होता है और इसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अब हर साल 100,000 डॉलर की फीस ने इसे बेहद महंगा बना दिया है।

ये भी पढ़ेंः H-1B वीजा हासिल करना अब आसान नहीं होगा, ट्रंप ने बदले नियम, लगेंगे 88 लाख रुपये

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

पूर्व जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने ट्रंप के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह अमेरिका में नवाचार को प्रभावित करेगा, जबकि भारतीय आईटी और तकनीकी फर्मों को इसका फायदा मिलेगा।

कांत ने एक्स पर पोस्ट किया, “वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाजा बंद करके, अमेरिका नवाचार, पेटेंट और स्टार्टअप की अगली लहर को बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम की ओर धकेल रहा है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका की यह कमी भारत के लिए एक बड़ा अवसर साबित होगी, जिससे भारत के सबसे बेहतरीन डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और इनोवेटिव लोग विकसित भारत के विकास में योगदान दे सकेंगे।

उद्यमी और निवेशक कुणाल बहल ने भी कहा कि इस नए नियम के कारण बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली लोग भारत लौटेंगे। उन्होंने कहा कि शुरुआत में मुश्किलें आ सकती हैं, लेकिन भारत में मौजूद अपार अवसरों को देखते हुए उनके लिए यह फायदेमंद साबित होगा।

वीजा और शुल्क में क्या बदलाव हुए हैं?

एच-1बी वीजा कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में कुशल विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। आमतौर पर, यह वीजा तीन साल के लिए वैध होता है और इसे छह साल तक नवीनीकृत किया जा सकता है। नए 100,000 डॉलर के वार्षिक शुल्क से कंपनियों के लिए भारतीय पेशेवरों को बनाए रखना बहुत महंगा हो जाएगा, खासकर ग्रीन कार्ड के लिए दशकों के लंबे इंतजार को देखते हुए।

ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें एक गोल्ड कार्ड कार्यक्रम बनाया गया है। इसके तहत व्यक्ति 1 मिलियन डॉलर और कंपनियाँ 2 मिलियन डॉलर का भुगतान करके वीजा प्राप्त कर सकती हैं। ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि इस संशोधित शुल्क-आधारित वीजा कार्यक्रम से अमेरिकी खजाने को 100 बिलियन डॉलर से अधिक मिलेंगे, जिसका उपयोग राष्ट्रीय ऋण को कम करने और करों में कटौती के लिए किया जाएगा।

ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हस्ताक्षर के दौरान कहा कि यह कदम अमेरिकी कामगारों को बढ़ावा देने के लिए है। उन्होंने कहा, हमें अच्छे कामगार चाहिए और यह नीति सुनिश्चित करती है कि अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता मिले। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भी इस कदम का बचाव किया और कहा कि इससे कंपनियां विदेशी कर्मचारियों की बजाय घरेलू कामगारों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित होंगी।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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