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Meta AI कभी भी कर सकता है आपकी सारी फोटो स्कैन, फेसबुक यूजर्स हो जाएं सावधान!

नई दिल्लीः मेटा (META) कंपनी इन दिनों प्राइवेसी बहस के केंद्र में है। कंपनी अपने यूजर्स का डेटा उपयोग कर रही है, इस बात में कोई दोराय नहीं है। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हम जिन फोटोज को पोस्ट करते हैं, मेटा इन फोटोज का इस्तेमाल अपने एआई मॉडल मेटा एआई (META AI) को प्रशिक्षित करने के लिए करता है। हालांकि, अभी ऐसा लगता है कि कंपनी इससे आगे बढ़ चुकी है। हालिया रिपोर्ट्स में ऐसा पता चला है कि कंपनी यूजर्स के फोन के कैमरा रोल तक पहुंच चाहती है जिससे वह अभी तक पोस्ट नहीं किए गए फोटोज तक भी अपनी पहुंच बना सके। 

टेक क्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ फेसबुक यूजर्स के पास स्टोरी पोस्ट करते वक्त एक पॉप-अप मैसेज आया। इसमें यूजर्स को “क्लाउड प्रोसेसिंग” फीचर चुनने की बात कही गई है। वैसे तो यह विकल्प अच्छा और सुरक्षित मालूम पड़ता है जैसा कि फेसबुक कहता है कि इसको अनुमति देने से यह कैमरा रोल तक पहुंच बना लेगा और नियमित अंतराल पर यह फोटोज को मेटा क्लाउड पर अपलोड करता रहेगा। कंपनी ने कहा है कि ऐसा करने के बाद वह इन फोटोज का कोलॉज, इवेंट रिकैप और एआई संचालित फिल्टर लगाएगा और उपलब्ध कराता रहेगा। इसके साथ ही बर्थडे, एनिवर्सरी या अन्य माइलस्टोन को भी प्रस्तुत करेगा। 

खतरे में प्राइवेसी और डेटा?

वैसे तो यह फीचर भी सुनने भी अच्छा लग रहा है लेकिन कंपनी इसका इस्तेमाल एक कदम आगे बढ़कर कर सकती है। इस फीचर को अनुमति देने के बाद कंपनी अभी तक पोस्ट नहीं किए गए कंटेट या फोटोज तक पहुंच बना सकती है और इनका इस्तेमाल मेटा के आने वाले फीचर्स के लिए कर सकती है। इसके साथ ही कंपनी के पास तारीख और लोकेशन की भी जानकारी चली जाएगी कि आप किस समय पर कहां थे? 

हालांकि, एआई का इस्तेमाल यूजर्स के लिए अधिक सहायक बनाना है। एआई को आपके सवालों के जवाब देने के लिए संकेतों और डेटा की आवश्यकता होती है। हालांकि, मेटा का कहना है कि यह एक ऑप्ट इन सुविधा है जिसे हम जब चाहें डिसेबल कर सकते हैं। हालांकि, यह आपका डेटा है और फेसबुक के इतिहास को देखते हुए यूजर्स अपने डेटा और प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं। 

मेटा ने पहले यह स्वीकार किया था कि कंपनी ने अपने जनरेटिव एआई को प्रशिक्षित करने में मदद के लिए 2007 से फेसबुक और इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर व्यस्कों द्वारा पोस्ट की गई सभी सार्वजनिक जानकारी को हटा दिया था। हालांकि, कंपनी ने अपने डेटा सेट में यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनकी नजर में “सार्वजनिक” क्या है? इसके अलावा यह भी नहीं स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति किस आयु से “व्यस्क ” है? 

कंपनी की यह अस्पष्टता विभिन्न टिप्पणियों के लिए स्पेस छोड़ती है और यूजर्स के लिए भी चिंता का विषय है। इसके अलावा कंपनी ने जून 2024 को एआई नियमों में बदलाव किया था जिसमें भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या ये क्लाउड-प्रोसेस्ड या जो फोटो या कंटेट अभी पोस्ट नहीं किया गया है, उन्हें एआई को प्रशिक्षण देने से छूट प्राप्त है या नहीं। 

META अधिकारियों ने क्या कहा?

इस मामले में द वर्ज ने जब मेटा एआई के अधिकारियों से संपर्क किया तो कंपनी की तरफ से ये जवाब आया कि मेटा वर्तमान में उन फोटो पर अपने एआई मॉडल को प्रशिक्षित नहीं कर रहा है। हालांकि, इस बात का जवाब नहीं मिला कि क्या कंपनी भविष्य में ऐसा कर सकती है या यूजर्स के कैमरा रोल में उपस्थित फोटोज तक इसकी पहुंच होगी या नहीं। 

फेसबुक में जिन लोगों ने इस सुविधा को इनेबल किया है। यूजर्स के पास इसे डिसेबल करने का विकल्प है। कंपनी का कहना है कि डिसेबल करने के 30 दिनों के भीतर कंपनी क्लाउड से उन फोटोज को हटा देगा जो पोस्ट नहीं की गई हैं। 

यह दौर एआई का दौर है और कंपनियां यह प्रयास कर रही हैं कि वह ज्यादा से ज्यादा डेटा कैसे एकत्रित कर सकें जिससे कि उन्हें एआई को प्रशिक्षित करने में सुविधा मिले। इसके साथ ही डेटा का विश्लेषण करने के बाद कैसे अधिक मुनाफा कमा सकें?

जहां पहले लोग अपनी तस्वीरों और कंटेट को दुनियाभर के सामने प्रस्तुत करते थे। आज के दौर में यह एआई द्वारा देखा जा रहा है और कंपनियां इनका विश्लेषण कर रही हैं। ऐसे में एआई जहां यूजर्स के लिए सहायता का एक माध्यम है तो वहीं प्राइवेसी और डेटा से जुड़ी तमाम आशंकाओं को जन्म भी दे रहा है।

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