पहाड़ी राज्यों में हो रही बारिश से वहां के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। मंगलवार जम्मू-कश्मीर स्थित वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर भूस्खलन से 32 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों के मुताबिक इस हादसे में कम से कम 20 लोग घायल हुए हैं। हादसे के बाद यात्रा को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।
यह हादसा मंगलाव दोपहर 3 बजे तीर्थयात्रा मार्ग के बीच अर्धकुंवारी में हुआ। बुधवार को बचाव अभियान तेज कर दिया गया और अर्धकुंवारी के पास फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक अब भी कई श्रद्धालु फंसे हुए हैं।
बचाव और राहत अभियान के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की 17 टीमों को तैनात किया है। एनडीआरएफ के साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य के लिए टीमों के साथ कुल 32 विशेष नौकाएँ हवाई मार्ग से भेजी हैं।
एनडीआरएफ के साथ बचाव अभियान में लगी वायु सेना
भारतीय वायु सेना का एक C-130 परिवहन विमान राहत और बचाव सामग्री लेकर जम्मू पहुंच गया है। इसके अलावा, चिनूक और Mi-17 V5 जैसे हेलीकॉप्टर जम्मू, उधमपुर, श्रीनगर और पठानकोट के नजदीकी बेस पर पूरी तरह तैयारस्थिति में रखे गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत बचाव कार्य शुरू किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस त्रासदी पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और प्रभावित तीर्थयात्रियों की मदद के लिए हर संभव राहत और बचाव कार्य के आदेश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “श्री माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर भूस्खलन के कारण हुई जान-माल की हानि दुखद है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रशासन सभी प्रभावित लोगों की सहायता कर रहा है। मैं सभी की सुरक्षा और कुशलक्षेम के लिए प्रार्थना करता हूं।”
जम्मू और कश्मीर में लगातार चौथे दिन बुधवार को भी मूसलाधार बारिश जारी रही, जिससे अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। कई नदियाँ, जिनमें तवी, चिनाब और झेलम शामिल हैं, खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
किश्तवाड़ जिले की वारवान घाटी के मार्गी इलाके में बादल फटने की दो घटनाएं हुईं जिसमें कम से कम 10 घर, 300 कनाल से ज्यादा फसलें, मवेशी और एक पुल बह गया।
रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 60 घरों में पानी घुस गया है, जिससे प्रभावित परिवारों को पास की पहाड़ियों पर तिरपाल के तंबुओं के नीचे शरण लेनी पड़ रही है। वहीं, कठुआ के लखनपुर गाँव में एक दर्जन से अधिक अर्धसैनिक बल के जवान बाढ़ के पानी में फंसे हुए हैं और उन्हें निकालने का प्रयास जारी है।
बारिश से परिवहन सेवा भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। चक्की नदी में आई बाढ़ से पटरियों को हुए नुकसान के कारण कम से कम 18 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश के बड़े हिस्सों में दूरसंचार सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे लाखों लोग संचार से कट गए हैं और समस्याओं में लगातार वृद्धि हो रही है।
जिलाधिकारी जम्मू द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बाढ़ राहत से जुड़े कार्यालयों को छोड़कर, जिले के सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रशिक्षण संस्थान और सरकारी दफ्तर बुधवार कर दिए गए।