Friday, October 10, 2025
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मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की की शादी वैध नहीं, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक मुस्लिम पुरुष और एक हिंदू महिला के बीच विवाह वैध नहीं है। अदालत ने स्पेशल मैरिज एक्ट- 1954 के तहत अंतर धार्मिक विवाह को पंजीकृत करने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी। दरअसल एक जोड़े ने बिना अपना धर्म बदले शादी को रजिस्टर करने और पुलिस सुरक्षा देने की मांग की थी।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा कि एक मुस्लिम पुरुष और एक हिंदू महिला के बीच विवाह को मुस्लिम कानून के तहत ‘अनियमित’ विवाह माना जाएगा। भले ही वे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाहित हों। हाई कोर्ट ने 27 मई को दिए अपने फैसले में कहा, ‘मोहम्मडन कानून के अनुसार एक मुस्लिम लड़के की मूर्तिपूजक या अग्नि-पूजक लड़की से शादी वैध शादी नहीं है। भले ही शादी विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो, फिर भी यह शादी वैध नहीं होगी।’

क्या था ये मामला?

मध्य प्रदेश के मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के जोड़े ने अपनी शादी को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनके वकील के मुताबिक यह जोड़ा स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहता था। महिला शादी के लिए दूसरा धर्म नहीं अपनाना चाहती थी। दूसरी ओर, शख्स भी अपना धर्म नहीं बदलना चाहता था।

वहीं, महिला के परिवार ने इस अंतर-धार्मिक रिश्ते का विरोध किया था और आशंका जताई थी कि अगर शादी आगे बढ़ी तो उन्हें समाज द्वारा तिरस्कृत कर दिया जाएगा। परिवार ने दावा किया कि महिला अपने मुस्लिम साथी से शादी करने के लिए जाने से पहले उनके घर से गहने ले गई थी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जोड़े की मांग थी कि उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपनी शादी को पंजीकृत कराने के लिए विवाह अधिकारी के सामने पेश होने के लिए पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए। इस जोड़े के वकील ने तर्क दिया कि यह अंतर-धार्मिक विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्य होगा और मुस्लिम पर्सनल लॉ इस पर लागू नहीं होगा।

स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है?

स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 में पारित किया गया कानून है। इसके तहत अंतर-धार्मिक जोड़े अपनी शादी का पंजीयन करा सकते हैं। इसके लिए इच्छुक जोड़े मैरिज अफसर के पास आवेदन देते हैं। आवेदन के बााद 30 दिनों के लिए एक नोटिस जारी किया जाता है। इस अवधि में कोई भी इस शादी के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा सकता है। उसे यह बताना होता है कि विवाह पंजीकृत कराने के लिए जोड़े क्यों और कौन सी आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। अगर आपत्ति सही पाई जाती है तो ऐसी स्थिति में विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। इस मामले में लड़की के परिवार वाले लगातार आपत्ति जता रहे थे और लड़की पर गहने लेकर भागने के भी आरोप लगाए थे।

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