Wednesday, September 10, 2025
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ऑस्ट्रेलिया की एंटी इमिग्रेशन रैलियों में भारतीयों को बनाया जा रहा निशाना, सरकार ने की आलोचना

ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में रविवार को मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया रैलियों का आयोजन किया गया जिसमें बड़े पैमाने पर प्रवासन को रोकने की मांग की गई।

March for Australia: ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में रविवार (31 अगस्त) को ‘एंटी इमिग्रेशन रैलियां (Anti-Immigration Rallies)’ आयोजित की गई हैं। इसमें राजधानी कैनबरा, सिडनी में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों ने इस रैली का नाम ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया (March for Australia)’ दिया है। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इन रैलियों पर विरोध जताते हुए इन पर नस्लवाद और घृणा फैलाने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही इन्हें नव-नाजियों से भी जुड़ा हुआ बताया है।

March for Australia रैलियों में खासतौर पर भारतीय मूल के नागरिकों को निशाना बनाया गया। ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी में भारतीय मूल के लोगों की संख्या करीब 3 प्रतिशत है। साल 2013 की तुलना में 2023 में भारतीय लोगों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। नवीनतम जनगणना के मुताबिक, यह संख्या 8 लाख के ऊपर है।

आंकड़ों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया मुख्य रूप से प्रवासियों का देश है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग आधे लोग या तो विदेश में जन्मे हैं या उनके माता-पिता का जन्म विदेश में हुआ है।

March for Australia रैलियों में भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ बांटे गए थे पर्चे

इन रैलियों के पर्चे भी बांटे गए थे, जिसमें भारतीयों की बढ़ती आबादी के बारे में लिखा गया कि पांच सालों में भारतीयों की संख्या 100 सालों में ग्रीक और इटालियंस की तुलना में ज्यादा है। इन पर्चों में लिखा गया “यह कोई मामूली सांस्कृतिक बदलाव नहीं है- यह साफ-साफ बदलाव है।” इनका उद्देश्य बडे़ पैमाने पर प्रवासन का विरोध करना था।

रैलियों के कार्यक्रम से पहले फेसबुक पर पोस्ट भी किए गए थे जिनमें भारतीयों के बारे में और भी बातें लिखी गईं थीं। मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया वेबसाइट ने लिखा कि बड़े पैमाने पर प्रवासन ने हमारे समुदायों को एक साथ जोड़ने वाले बंधनों को तोड़ दिया है। इसने एक्स पर भी एक पोस्ट किया है। इसमें लिखा गया कि समूह जो करना चाहता है वह मुख्यधारा के राजनेता कभी करने का साहस नहीं करते। इसमें आगे लिखा गया कि “सामूहिक प्रवासन को समाप्त करने की मांग।”

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इस समूह ने किसी भी प्रकार की राजनैतिक जुड़ाव से इंकार किया है और इसे एक “जमीनी स्तर का जैविक प्रयास” बताया है जो बड़े पैमाने पर आव्रजन को समाप्त करने और ऑस्ट्रलेयाई लोगों को एकजुट करता है।

हाल ही में एक और पोस्ट किया गया जिसमें लिखा था कि ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ का स्वामित्त लेने या इससे खुद को जोड़ने के लिए कई समूहों ने दावे किए हैं। इनके बारे में लिखा गया था कि ये अपने एजेंडे के तहत ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं। पोस्ट में आगे लिखा गया था कि “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि आयोजक किसी अन्य समूह के सदस्य नहीं हैं और न ही किसी अन्य समूह की ओर से काम कर रहे हैं।”

ऑस्ट्रेलिया सरकार के मंत्री ने नफरत फैलाने का लगाया आरोप

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने देश में हो रहे इन कार्यक्रमों का विरोध किया है। लेबर सरकार के वरिष्ठ मंत्री मरे वाट ने स्काई न्यूज टीवी से बात करते हुए कहा “हम इस तरह की रैलियों का समर्थन नहीं करते हैं जो नफरत फैला रही हैं और जो हमारे समुदाय को बांट रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि ये कार्यक्रम नव-नाजी समूहों द्वारा “आयोजित और प्रचारित” किए गए थे।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के आयोजकों ने नव-नाजी दावों के बारे में जवाब नहीं दिया है।

ऑस्ट्रेलियाई काउंसिल ऑफ सोशल सर्विस ने इस बीच एक बयान जारी कर कहा कि वह शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का सम्मान करती है “लेकिन हम सभी तरह के नस्लवाद, फासीवाद, घृणास्पद भाषणों और कट्टरता को कड़े शब्दों में अस्वीकार करते हैं।”

हिंदुस्तान टाइम्स ने इसके सीईओ कसेंद्रा गोल्डी के हवाले से लिखा “ऑस्ट्रेलिया की विविधता बड़ी ताकत है, खतरा नहीं…ऑस्ट्रेलिया में ऐसी विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है जो लोगों को इस आधार पर निशाना बनाती हैं कि वे कौन हैं , कहां से आते हैं और क्या मानते हैं?”

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिडनी रैली में करीब 5-8 हजार लोग इकट्ठा हुए थे। वहीं, इसके पास में ही रिफ्युजी एक्शन कोलिशन की तरफ से भी एक रैली निकाली गई है। इस रैली के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनका कार्यक्रम मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के अति दक्षिणपंथी एजेंडे के खिलाफ है और उनके प्रति गुस्से को दर्शाता है।

इसी तरह राजधानी कैनबरा में भी कुछ सौ लोगों की भीड़ जमा हुई थी। यह भीड़ संसद भवन के पास स्थित एक झील के पास जमा हुई थी। इसी तरह सिडनी और मेलबर्न और अन्य शहरों में भी मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया की रैलियों में जुटे।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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