Friday, October 10, 2025
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मलेरिया से मुक्ति के कगार पर भारत! 1947 से 2023 तक मामलों में 97% से ज्यादा की कमी

नई दिल्ली: भारत ने मलेरिया से लड़ने में उल्लेखनीय प्रगति की है। साल 1947 में स्वतंत्रता के समय देश में हर साल लगभग 7.5 करोड़ मलेरिया के मामले और आठ लाख मौतें होती थीं।

आजादी के बाद से, सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों के अथक प्रयासों से इन संख्याओं में 97 फीसदी से अधिक की कमी आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 तक मलेरिया के मामलों की संख्या घटकर 20 लाख और मौतों की संख्या 83 तक पहुंच गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ-WHO) की 2024 की मलेरिया रिपोर्ट में भारत की प्रगति को विशेष रूप से सराहा गया है। साल 2017 से 2023 के बीच, मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आई।

भारत ने वर्ष 2024 में डब्लूएचओ के “हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट” (HBHI) समूह से बाहर निकलकर मलेरिया के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।

राज्यों की प्रगति और श्रेणियों में बदलाव

वर्ष 2015 में, 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उच्च बोझ वाली श्रेणी (श्रेणी 3) में थे। साल 2023 तक, इनमें से आठ राज्य या तो मध्यम बोझ (श्रेणी 2) में आ गए हैं या न्यूनतम बोझ (श्रेणी 1) में।

उदाहरण के लिए ओडिशा, छत्तीसगढ़, और झारखंड ने अपने मामलों में उल्लेखनीय कमी की है। वर्ष 2023 में, 122 जिलों ने मलेरिया के शून्य मामले दर्ज किए, जो देश की स्वास्थ्य नीतियों और लक्षित हस्तक्षेपों की सफलता को दर्शाता है। साल 2015 के मुकाबले मलेरिया के मामलों में 80 फीसदी की गिरावट आई है।

साल 2027 तक मरेलिया के शुन्य मामलों का लक्ष्य

भारत की मलेरिया उन्मूलन रणनीति के तहत, साल 2016 में “राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा” (NFME) शुरू की गई, जिसने वर्ष 2027 तक मलेरिया के शून्य स्वदेशी मामलों का लक्ष्य रखा। इसके तहत “परीक्षण, उपचार और ट्रैकिंग” दृष्टिकोण अपनाया गया।

सरकार ने एकीकृत वेक्टर प्रबंधन (IVM) जैसे उपायों पर ध्यान केंद्रित किया। इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (IRS) और लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक जाल (LLIN) ने मच्छरों की संख्या को कम करने और रोग के प्रसार को रोकने में मदद की।

वर्ष 2030 तक भारत का मलेरिया से मुक्त होने का लक्ष्य

भारत ने निगरानी प्रणाली को मजबूत किया, जिससे वार्षिक रक्त परीक्षण दर (ABER) में सुधार हुआ। साल 2023 में यह दर बढ़कर 11.62 फीसदी हो गई। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और आयुष्मान भारत पैकेज ने भी जमीनी स्तर पर जागरूकता और उपचार सेवाएं उपलब्ध कराईं।

भारत वर्ष 2030 तक मलेरिया मुक्त बनने के लक्ष्य पर दृढ़ है। मजबूत हस्तक्षेप, सामुदायिक भागीदारी और वैश्विक सहयोग के साथ, भारत मलेरिया उन्मूलन में एक वैश्विक उदाहरण स्थापित कर रहा है।

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