मेक इन इंडिया (Make In India) योजना की शुरुआत 25 सितंबर 2014 को हुई थी। इसे लांच करने का उद्देश्य निवेश, निर्माण, संरचना और अभिनव प्रयोगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। इस योजना को देश में उद्यमशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से भी किया गया था। इस योजना की शुरुआत के 11 साल पूरे हो चुके हैं।
ऐसे में जानेंगे कि मेक इन इंडिया के तहत भारत अब तक कहां पहुंचा, इसके जरिए किन उद्देश्यों की पूर्ति हुई?
मेक इन इंडिया 11 सालों में कहां पहुंचा?
- पीएलआई स्कीम्स को बढ़ावा मिलाः केंद्र सरकार की इस योजना के तहत उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजनाओं (पीएलआई) को बढ़ावा मिला। इन योजनाओं को 1.76 लाख करोड़ का निवेश मिला। इससे इसका कुल उत्पादन 16.5 करोड़ रुपये का हो गया। इन पहलों के तहत भारत इलेक्ट्रानिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता से वैश्विक नेतृत्व की ओर सफलतापूर्वक आगे बढ़ा है।
2. इलेक्ट्रानिक्स निर्याम में 8 गुना वृद्धिः बीते 11 सालों में मेक इन इंडिया के तहत भारत का इलेक्ट्रानिक्स निर्यात आठ गुना बढ़कर करीब 38 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। मोबाइल फोन के निर्यात में इस दौरान करीब 132 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसका निर्यात 1500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया।
3. मोबाइल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातकः भारत दुनिया में मोबाइल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया। इसके अलावा कुल इलेक्ट्रानिक्स उत्पादन 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। ऐसे में भारत इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
4. चिकित्सा क्षेत्र में घरेलू नवाचारः मेक इन इंडिया के तहत चिकित्सा के क्षेत्र में घरेलू नवाचार को बढ़ावा दिया गया। दवा उद्योग वित्त वर्ष 2022 में 1,930 करोड़ रुपये के घाटे से वित्त वर्ष 2025 में 2,280 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस बीच स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों समेत नैफिथ्रोमाइसिन जैसी दवाओं में निवेश ने वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार में भारत की भूमिका को मजबूत किया है।
5. रेलवे नेटवर्क का विस्तारः इस योजना के तहत भारतीय रेल नेटवर्क का विस्तार हुआ है। वर्तमान में देश में करीब 150 से अधिक वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। इसके अलावा भारत में निर्मित कोचों को कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है। इसके अलावा इसके प्रोपल्सन सिस्टम फ्रांस, मैक्सिको, जर्मनी, इटली और स्पेन में भेजे जा रहे हैं। यह वैश्विक रेल प्रौद्योगिकी में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
6. 100 से अधिक देशों को रक्षा निर्यातः भारत रक्षा क्षेत्र में अपनी पहचान मजबूत करने में सक्षम हुआ है। करीब 100 से अधिक देशों में वर्तमान में रक्षा उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2025 में रक्षा उत्पादन 1,50,590 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसमें 65 प्रतिशत घरेलू स्तर पर निर्मित हुए। इससे भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा उपस्थिति मजबूत हुई।
7. स्टार्टअप तंत्र फल-फूल रहा हैः भारत में स्टार्टअप को लेकर एक अच्छा इकोसिस्टम तैयार हुआ है। भारत में अब तक करीब 1.8 लाख से ज्यादा स्टार्टअप हैं। इनके जरिए करीब 17 लाख से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा देश में अभी करीब 118 यूनिकॉर्न भी हैं, जो उद्यमशीलता के क्षेत्र में तेज विकास, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।
8. नवीकरणीय विनिर्माण का तेजी से विस्तारः भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है। सौर पीवी क्षमता 100 गीगावाट को पार कर गई है। इससे स्वच्छ ऊर्जा में भारत की स्थिति वैश्विक अग्रणी के रूप में देश की स्थिति मजबूत हुई है।
9. अर्धचालक परियोजनाएंः इस योजना के तहत विक्रम 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर, फैब, डिजाइन, हब और दस सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के लिए 76,000 करोड़ रुपये के निवेश प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा उन्नत पैकेजिंग और परीक्षण क्षमता में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसने भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर की दौड़ में स्थापित कर दिया।
10. खिलौनों का आयात घटाः मेक इन इंडिया के बाद से भारत में खिलौनों के आयात में कमी आई है। इसके साथ ही भारत सालाना करीब 40 करोड़ खिलौनों का उत्पादन करता है और इन्हें 153 देशों को निर्यात करता है। भारतीय उद्योगों में निर्मित खिलौने अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं और घरेलू खिलौना उद्योग को भी मजबूती प्रदान कर रहे हैं।