चेन्नईः मध्य प्रदेश की सात सदस्यीय एसआईटी ने बुधवार, 8 अक्टूबर को तमिलनाडु के चेन्नई के निकट स्थित एक दवा निर्माता कंपनी की फैक्ट्री की जांच की। एसआईटी द्वारा यह जांच मध्य प्रदेश में कथित रूप से कफ सिरप के कारण 20 बच्चों की मौत की जांच के लिए की गई है। जांच कर रही सात सदस्यीय एसआईटी टीम का नेतृत्व सहायक पुलिस आयुक्त कर रहे हैं।
जांच के बाद एसआईटी ने कंपनी के चेन्नई स्थित ऑफिस का दौरा किया और दस्तावेज तथा सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा किए। अधिकारियों ने बताया कि फैक्ट्री का मालिक तीन दिन पहले ही परिसर छोड़ कर जा चुका था।
तमिलनाडु पुलिस ने मध्य प्रदेश एसआईटी की सहायता की
मध्य प्रदेश एसआईटी द्वारा किए जा रहे निरीक्षण के दौरान तमिलनाडु पुलिस ने सहायता की। चेन्नई स्थित इस फार्माक्यूटिकल कंपनी ने पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में कफ सिरप (कोल्ड्रिफ) उपलब्ध कराई थी।
इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने बीते मंगलवार (7 अक्टूबर) को कांचीपुरम जिले में फॉर्माक्युटिकल कंपनी सील कर दी थी। मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने 7 अक्टूबर को कहा कि सिरप पीने से 20 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई। तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा किए गए परीक्षणों में कारखानों से लिए गए नमूनों में “मिलावट” होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उत्पादन को तुरंत बंद करने का आदेश दिया गया।
वहीं, सरकार ने 1 अक्टूबर से कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर रोक लगाई है। इसके साथ ही निर्देश दिया है कि बाजार से सभी स्टॉक को हटाया जाए। कंपनी ने हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई बयान नहीं जारी किया है।
इस बीच, तेलंगाना ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन ने गुजरात स्थित कंपनियों द्वारा दो अन्य सिरप रीलाइफ और रेस्पिफ्रेश टीआर के लिए सार्वजनिक चेतावनी उपयोग बंद करने का नोटिस जारी किया है। मध्य प्रदेश में हुए प्रयोगशाला परीक्षणों में इनमें विषाक्त रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
अधिकारियों ने जनता से किया आग्रह
अधिकारियों ने जनता ने इन उत्पादों का इस्तेमाल बंद करने और स्थानीय औषधि नियंत्रण कार्यालयों को सूचित करने का आग्रह किया है।
यह घटना मु्ख्य रूप से तब प्रकाश में आई जब परासिया क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से एक से सात साल की उम्र के छह बच्चों की “मिलावट” सिरप पीने के बाद किडनी संबंधी जटिलताओं से मौत हो गई।
बच्चों को शुरुआत में सर्दी और हल्का बुखार था। स्थानीय डॉक्टरों ने उन्हें कफ सिरप समेत सामान्य दवाएं दीं। दवाइयां लेने के बाद बच्चों में शुरुआत में तो सुधार हुआ लेकिन कुछ दिनों बाद पुनः उनमें लक्षण प्रकट हुए। इसके बाद मूत्र उत्पादन में भी कमी देखी गई।
मध्य प्रदेश में बच्चों को यह सिरप देने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सोनी का बचाव करते हुए कहा कि दवा कंपनी और नियामक अधिकारियों की व्यवस्थागत खामियों ने भी इस त्रासदी में योगदान दिया है।
आईएमए ने सख्त कार्रवाई की मांग की
आईएमए ने दूषित कफ सिरप पीने से हुई मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, प्रभावित परिवारों को मुआवजा और डॉक्टर को सहायता देने की मांग की है। इसने दवा संबंधी नियमों में खामी और मामले को ठीक से न संभाल पाने की आलोचना की है।
लैबोरेटरी में हुए परीक्षणों से पता चलता है कि दवा में जहरीले रासायनिक पदार्थ थे और इसे 4 साल से कम उम्र की बच्चों के लिए गलती से बेचा गया था।
मध्य प्रदेश सरकार ने दो औषधि निरीक्षकों और एक उप निदेशक को निलंबित कर दिया है और राज्य औषधि नियंत्रक का तबादला कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिरप के दस नमूनों में से एक को गुणवत्ता परीक्षण में विफल पाया है और छह राज्यों में निरीक्षण शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों ने कोल्ड्रिफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है और दूषित बैचों को जब्त कर लिया है।
पंजाब और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने सुरक्षा अभियान और सर्वेक्षण शुरू कर दिए हैं, जबकि विपक्षी दलों ने इस त्रासदी के पीछे नियामक खामियों की जवाबदेही और न्यायिक जाँच की माँग की है।
इस घटना के बाद, सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है जिसमें सीबीआई जाँच और भारत के औषधि सुरक्षा ढाँचे में व्यापक सुधार की माँग की गई है।