राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की केंद्रीय टीम ने हाल ही में बच्चों की मौतों और बीमारियों में कफ सिरप की संदिग्ध भूमिका की जांच के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सैंपल इकट्ठा किए हैं। राजस्थान में भी इसी तरह के कुछ मामले आए हैं। इस कारण से डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप के बैचों की तत्काल जाँच की गई और पूरे राज्य में वितरण रोक दिया गया।
दरअसल राजस्थान के सीकर जिले में राज्य की मुफ्त दवा योजना के तहत दी गई खांसी की दवा के पीने से पांच साल के बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद यह जांच शुरू की गई है। इसके अलावा भरतपुर जिले में तीन साल के बच्चे ने भी यह दवा पी थी जिसके बाद वह भी गंभीर रूप से बीमार हो गया।
मध्य प्रदेश में छह बच्चों की मौत
इसी तरह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी पिछले महीने कथित तौर पर दो तरह के सिरप पीने से किडनी में संक्रमण के कारण छह बच्चों की मौत हो गई। नतीजतन, जिला प्रशासन ने कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इंडिया टुडे ने आधाकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा कि संक्रामक रोग की संभावना को ख़त्म करने के लिए पानी, कीटविज्ञान और दवा के नमूनों सहित कई नमूनों का विश्लेषण किया जा रहा है। हालाँकि, कफ सिरप की गुणवत्ता जाँच का मुख्य केंद्र बन गई है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश में आए कई मामले
राजस्थान में 27 सितंबर को सांगानेर स्थित एक सरकारी डिस्पेंसरी में डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप पिलाने वाली दो साल की बच्ची को गंभीर हालत में जयपुर के मानसरोवर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शुरुआत में उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उसे सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत दी जाने वाली यह दवा अब जाँच रिपोर्ट आने तक निलंबित है।
यह मामला भरतपुर और श्रीमाधोपुर (सीकर जिले) में पहले हुई घटनाओं के बाद आया है जहाँ इसी सिरप को पीने के बाद कई बच्चे बीमार पड़ गए थे। उन्हें जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। गौरतलब है कि भरतपुर के सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर को भी इस सिरप के सेवन के बाद कुछ प्रतिकूल लक्षण महसूस हुए थे।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले एक महीने में छह बच्चों की कथित तौर पर खांसी की दवा सहित दो तरह के सिरप पीने से किडनी में संक्रमण के कारण मौत हो गई है। कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेश गुन्नाडे ने पुष्टि की है कि पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को दर्ज किया गया था और पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और पेशाब करने में कठिनाई शामिल थी। इन घटनाओं के बाद अधिकारियों ने दोनों सिरप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है और कड़ी निगरानी के आदेश दिए हैं।
अधिकारियों ने शुरू की जांच
28 और 29 सितंबर को राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) को जयपुर स्थित कंपनी केयसन्स फार्मा द्वारा निर्मित सिरप के बैच नंबर KL-25/147 और KL-25/148 के बारे में जिला स्वास्थ्य अधिकारियों से औपचारिक शिकायतें मिलीं। परिणामस्वरूप, आरएमएससीएल ने सभी प्रभावित बैचों का वितरण रोक दिया है और मामले की जाँच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
आरएमएससीएल के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि जून से अब तक 1,33,000 से ज़्यादा मरीज़ों को यह सिरप दिया जा चुका है और हाल ही में सामने आए मामलों से पहले तक किसी को कोई शिकायत नहीं हुई थी। फिर भी इस उभरते हुए पैटर्न को देखते हुए पूरे राज्य में इस सिरप का वितरण रोक दिया गया है। केसन्स फॉर्मा के सभी बैचों को अब फॉर्मेसी केंद्रों पर वितरित करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और एहतियात के तौर पर एक अन्य आपूर्तिकर्ता के कफ सिरप का भी दोबारा परीक्षण किया जा रहा है।
राजस्थान के औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने कई जिलों में बच्चों के बीमार पड़ने की कई रिपोर्टों की पुष्टि की और इस बात पर जोर दिया कि परीक्षण के परिणाम आने तक डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप की पूरी आपूर्ति रोक दी गई है।