Friday, October 10, 2025
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आर्टिकल 370 हटने के बाद श्रीनगर में लोकसभा चुनाव में 1996 के बाद सबसे ज्यादा वोटिंग

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में 13 मई को हुए लोकसभा चुनावों में लगभग 37.98 फीसदी मतदान हुआ है, जो कई दशकों में सबसे अधिक है। श्रीनगर लोकसभा सीट में बडगाम, गांदरबल, पुलवामा और शोपियां जिलों के साथ श्रीनगर शहर के पुराने इलाके भी शामिल हैं।

यहां पिछले कुछ दशकों से लगातार कम मतदान देखा गया है। इस साल 38 फीसदी मतदान होने से यह पता चलता है कि पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस साल वोटरों ने चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।

बता दें कि साल 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों के बाद यह एक पहला आम चुनाव है जिसमें अधिक मतदान देखा गया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इस बार के वोटिंग में चुनावों का बहिष्कार भी नहीं देखा गया है जो पिछले चुनावों में अधिक होती थी।

क्या कहते है आंकड़ें

साल 1989 में घाटी में मतदान का प्रतिशत केवल पांच फीसदी था और उस समय नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उम्मीदवार ने निर्विरोध चुनाव जीता था। वहीं अगर साल 2019 की बात करें तो उस समय मतदान 14.43 फीसदी था और उससे पहले साल 2014 में 25.8 प्रतिशत था।

पिछले तीन दशकों में सबसे ज्यादा मतदान साल 1996 में देखा गया है जब 40.9 फीसदी वोट पड़े थे। ऐसे में इस बार लगभग 38 फीसदी वोट पड़ा है जो 1996 के बाद सबसे अधिक है। हालांकि मतदान के सटीक आंकड़े अभी आने बाकी है।

लोकसभा चुनाव वर्ष    वोटिंग प्रतिशत

  • 1989                         5
  • 1996                     40.9
  • 2014                     25.8
  • 2019                    14.43
  • 2024                    37.98

पोल पैनल के आंकड़ों की अगर बात करें तो 96 सीटों पर शाम के पांच बजे तक 62.84 फीसदी वोट पड़े हैं। बता दें कि श्रीनगर सीट से कई राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जेके अपनी पार्टी भी शामिल है।

इस सीट को ऐतिहासिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ माना जाता है, जिसका फारूक अब्दुल्ला जैसे प्रमुख नेता कई सालों से इसका प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।

इस साल नहीं हुआ चुनावों का बहिष्कार

पिछले कुछ सालों से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग सीटों पर चुनावों में बहिष्कार देखा गया है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में ऐसा नहीं हुआ। इस बार यहां चुनाव काफी शांतिपूर्ण रहा है।

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, 90 के दशक में आतंकवादियों के डर से घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों ने भी इस बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है और वोट दिया है।

पीएम मोदी समेत अन्य नेताओं ने क्या कहा

इस साल वोटों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए पीएम मोदी ने मतदाताओं की सराहना की है। प्रधानमंत्री और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ अन्य नेताओं ने चुनाव में अधिक मतदान के लिए लोगों को बधाई दी है।

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला और अपने दो पोते को साथ वोट दिया है। उनके दोनों पोतों ने पहली बार वोट दिया है।

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