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जमीनी हकीकत नहीं पढ़ सके या टिकट बांटने में हुई गलती? यूपी में कैसे हुआ भाजपा का बेड़ा गर्क…ये आंकड़े दे रहे इशारा

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान उत्तर प्रदेश से हुआ है। यहां उसके 49 सांसदों में से 27 को हार का सामना करना पड़ा। आंकड़े बताते हैं कि भाजपा ने दरअसल 2019 में चुनाव लड़ने वाले कुल 54 उम्मीदवारों को इस बार भी मैदान में उतारा था, हालांकि इसमें 31 को हार मिली। 2019 में चुने गए सांसदों जिन्हें 2024 में भी भाजपा की ओर से मौका दिया गया, उसमें अंबेडकरनगर से रितेश पांडेय भी शामिल हैं। वैसे पांडेय 2019 में बसपा के टिकट पर सांसद बने थे लेकिन इसी साल फरवरी में वे भाजपा में शामिल हो गए। रितेश पांडेय को भी हार का सामना करना पड़ा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जिन 49 सांसदों को दोबारा 2024 में टिकट दिया गया, उसमें 33 ऐसे थे जो तीसरी या उससे ज्यादा बार चुनाव लड़ रहे थे। इसमें 20 को हार मिली। इस सूची में स्मृति ईरानी (अमेठी), अजय मिश्रा टेनी (खीरी), कौशल किशोर (मोहनलालगंज), महेंद्र नाथ पांडेय (चंदौली), साध्वी निरंजन ज्योति (फतेहपुर), भानु प्रताप सिंह वर्मा (जालौन), संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर) जैसे सांसद और केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।

इसके अलावा आठ बार की सांसद मेनका गांधी (सुल्तानपुर) और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह (एटा) जैसे हाई-प्रोफाइल सांसदों को भी हार का सामना करना पड़ा। साथ ही लल्लू सिंह (फैजाबाद) और सुब्रत पाठक (कन्नौज) की हार भी चौंकाने वाली रही। लल्लू सिंह 2014 और 2019 में जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।

जमीनी हकीकत नहीं पढ़ सकी भाजपा, सांसदों से नाराज थी जनता!

यूपी में भाजपा की हार इशारा कर रही है कि स्थानीय स्तर पर संभवत: लोग अपने सांसदों के काम से खुश नहीं थे। भाजपा को भरोसा था कि नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट आ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह भी संभव है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जमीनी हकीकत पढ़ने में बुरी तरह से नाकाम रहा। जबकि आमतौर पर भाजपा को लेकर राजनीतिक जानकारों की धारणा यही रही है कि पार्टी में टिकट बहुत सोच-समझकर और जमीनी परिस्थितियों को समझते हुए दिया जाता रहा है। इसलिए कई बार चौंकाने वाले नाम भी बतौर उम्मीदवार पूर्व में सामने आते रहे हैं।

बहरहाल, नतीजों के बाद आंकड़ों से पता चला कि तीसरी या अधिक बार चुनाव लड़ रहे केवल 14 भाजपा सांसद जीते। इनमें पीएम नरेंद्र मोदी (वाराणसी), महेश शर्मा (जीबी नगर), भोला सिंह (बुलंदशहर), राजनाथ सिंह (लखनऊ), और हेमा मालिनी (मथुरा) शामिल हैं। जीतने वाले अन्य भाजपा उम्मीदवारों कई ऐसे हैं जो पहली बार उसके टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। इनमें जितिन प्रसाद (पीलीभीत), छत्रपाल सिंह गंगवार (बरेली), अतुल गर्ग (गाजियाबाद), आनंद गोंड (बहराइच), और करण भूषण सिंह (कैसरगंज) शामिल हैं।

कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि भाजपा की पहली सूची में 51 उम्मीदवारों में से 46 को दोहराने के पार्टी फैसले ने कई लोगों को हैरान कर दिया था। इनमें से कई के खिलाफ स्थानीय नाराजगी थी। भाजपा को उम्मीद रही होगी कि मोदी-योगी फैक्टर जीत दिलाएगा लेकिन यह आंकलन गलत साबित हुआ। इसी तरह 16 मौजूदा सांसदों (2019-24) सहित 19 उम्मीदवारों ने लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा। इनमें से सात मौजूदा सांसदों समेत दस को अपनी सीटें गंवानी पड़ीं। इनमें प्रदीप कुमार (कैराना), राम शंकर कठेरिया (इटावा), संगम लाल गुप्ता (प्रतापगढ़), प्रवीण निषाद (संत कबीर नगर) और आरके सिंह पटेल (बांदा) जैसे नाम प्रमुख हैं।

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