लेह शहर में लगाए गए एक सप्ताह लंबे कर्फ्यू में मंगलवार को चार घंटे की ढील दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चार घंटे के लिए दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है।
इससे पहले सोमवार शाम को दो घंटे के लिए ढील दी गई थी, जो उन चार व्यक्तियों के अंतिम संस्कार के बाद दी गई थी, जिनमें एक सेवानिवृत्त सैनिक भी शामिल थे। ये मौतें 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई हिंसक झड़पों के दौरान हुई थीं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आगे कर्फ्यू में ढील की अवधि हालात पर निर्भर करेगी। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ग़ुलाम मोहम्मद ने आदेश दिया है कि ढील की अवधि में केवल किराना, सब्ज़ी, हार्डवेयर और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी दुकानें ही खोली जाएं।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले बुधवार की हिंसा को छोड़कर उसके बाद कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। फिलहाल पुलिस और अर्धसैनिक बल संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं और हालात पर कड़ी नज़र रखे हुए हैं।
उपराज्यपाल ने की शांति की अपील
लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता लगातार उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठकें कर रहे हैं। सोमवार को उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि शांति ही विकास की आधारशिला है। उन्होंने सभी समुदायों से एकता और सद्भाव बनाए रखने और असामाजिक व राष्ट्रविरोधी तत्वों के बहकावे में न आने का आग्रह किया।
कविंदर गुप्ता ने कहा कि प्रशासन जनता की सुरक्षा, सम्मान और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। हम सभी उचित चिंताओं को संवाद और लोकतांत्रिक तरीकों से हल करेंगे। उन्होंने लोगों के धैर्य और संयम की सराहना की और प्रशासन को खुफिया तंत्र मजबूत करने, नियमित सामुदायिक संवाद बनाए रखने और जन-शिकायतों का त्वरित समाधान करने के निर्देश दिए।
इंटरनेट बंद, धारा 144 लागू
अधिकारियों के अनुसार, लेह शहर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अभी भी निलंबित हैं। साथ ही लद्दाख के अन्य हिस्सों, खासकर कारगिल में, धारा 144 के तहत पांच या उससे अधिक लोगों के जुटने पर पाबंदी जारी है।
ज्ञात हो कि 24 सितंबर को लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) से जुड़े संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान हिंसक प्रदर्शन भड़कने पर प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया था। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत विशेष प्रावधान देना है।
60 से अधिक हिरासत में, दो पार्षद भी शामिल
बता दें हिंसा के बाद अब तक 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें दो पार्षद भी शामिल हैं। वहीं, सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद उन्हें राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया।
इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लद्दाख इकाई ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा है कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और निर्दोष लोगों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। पार्टी ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की।
भाजपा ने अपने बयान में कहा, “लद्दाख अपनी खूबसूरती और लोगों की जुझारू भावना के लिए जाना जाता है। हम सभी से अपील करते हैं कि शांति और सौहार्द बनाए रखें। कानून को अपने हाथ में न लें और अफवाहों से दूर रहें।” पार्टी ने सभी नागरिकों से एकजुट होकर प्रशासन के साथ सहयोग करने और हालात को सामान्य बनाने की अपील की।