Friday, October 10, 2025
Homeभारतबाल विवाह के खिलाफ कानून को किसी पर्सनल लॉ से बाधित नहीं...

बाल विवाह के खिलाफ कानून को किसी पर्सनल लॉ से बाधित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को देश में किसी भी पर्सनल लॉ के तहत मान्य परंपराओं आदि से बाधित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा बाल विवाह जैसी चीजें जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं।

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने देश में बाल विवाह की रोकथाम पर कानून के प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए।

हालांकि, साथ ही पीठ ने इस मुद्दे पर भी गौर किया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) पर्सनल लॉ पर हावी होगा या नहीं, यह बात संसद में विचार के लिए लंबित है। केंद्र ने शीर्ष अदालत से पीसीएमए को पर्सनल लॉ पर हावी रखने का आग्रह किया था।

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘जबकि पीसीएमए बाल विवाह पर रोक लगाने का प्रयास है। यह लेकिन किसी बच्चे के कम उम्र में तय किए गए विवाहों की बड़ी सामाजिक बुराई को नहीं रोक पाता है, जो उनकी पसंद करने के अधिकार का उल्लंघन है….और यह उनसे उनके परिपक्व होने से पहले ही साथी चुनने की उनकी आजादी को छीन लेता है।’

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गरीबी, लिंग, असमानता, शिक्षा की कमी जैसे बाल विवाह के मूल कारणों पर गौर करने के अलावा रणनीतियों को विभिन्न समुदायों की जरूरतों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। फैसले में कहा गया, ‘कानून के रूप में पीसीएमए तभी पूरी तरह सफल होगा जब सामाजिक ढांचे के भीतर इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए सभी सामूहिक प्रयास करें, जो बहु-क्षेत्रीय समन्वय की आवश्यकता पर जोर देता है।’

इसके अलावा कोर्ट ने राय दी कि कानून प्रवर्तन मशीनरी को बाल विवाह को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करना चाहिए और केवल अभियोजन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन द्वारा बाल विवाह को रोकने के लिए कानून के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर आया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा