Friday, October 10, 2025
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जमीन के बदले नौकरी मामले में कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को तलब किया, तेज प्रताप को पहली बार समन

नई दिल्ली: लैंड-फॉर-जॉब यानी जमीन के बदले नौकरी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव समेत अन्य लोगों को तलब किया है। अदालत ने तेज प्रताप यादव की भूमिका को लेकर पहली बार समन जारी किया है। तेज प्रताप यादव को पहले आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन वे एके इंफोसिस लिमिटेड में निदेशक के पद पर थे, जिससे उनकी संलिप्तता का संदेह पैदा हुआ।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने ने लालू प्रसाद यादव, उनके दोनों बेटों और छह अन्य आरोपियों को 7 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। इसके अलावा अदालत ने पहले ही चार्जशीट किए जा चुके अन्य व्यक्तियों, जैसे अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को भी समन भेजा है।

ईडी के चार्जशीट में 11 पर आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में 6 अगस्त को एक पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें 11 आरोपियों का नाम दर्ज किया गया था। हालांकि, चार आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने माना कि इस मामले में लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी सहित सभी आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्यवाही के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।

हालांकि ईडी की चार्जशीट में किरण देवी को पहले शामिल नहीं किया गया था, लेकिन अब उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की नौकरी के बदले लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को जमीन बेची थी। इसके साथ ही अखिलेश्वर सिंह को ईडी की चार्जशीट में नामित किया गया है।

आरोपी अमित कत्याल को मिली जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार लैंड-फॉर-जॉब केस में लालू के करीबी और आरोपी व्यवसायी अमित कत्याल को मेडिकल आधार पर नियमित जमानत दे दिया। कत्याल को इससे पहले स्वास्थ्य समस्याओं के चलते 84 दिन की अंतरिम जमानत मिली थी लेकिन अब उन्हें नियमित जमानत मिल गई है।

कत्याल के वकील अधिवक्ता विकास पहवा ने बताया कि उनके मुवक्किल इस केस में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए एकमात्र व्यक्ति हैं, जबकि मुख्य आरोपी लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किए बिना चार्जशीट किया गया था। पाहवा ने कहा, कत्याल को नवंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था। तब से वह हिरासत में है। वह संबंधित सीबीआई मामले में गवाह भी है। उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं था और उसकी सर्जरी भी हुई थी। वहीं, ईडी ने कत्याल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।

बता दें कि 17 अगस्त को कत्याल को जमानत देते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और अन्य को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत समन जारी करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। ईडी द्वारा 6 अगस्त को दाखिल की गई प्रारंभिक चार्जशीट में ललन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार और अन्य जैसे व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए थे, जिनमें से चार की मृत्यु हो चुकी है।

कोर्ट ने ईडी को जांच तेज करने और लंबित आरोपों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। जांच में दो कंपनियों, एके इंफोसिस्टम्स और ए बी एक्सपोर्ट, को संलिप्त पाया गया है, जो अवैध रूप से भूमि प्राप्त करने के लिए उपयोग की गईं। लालू यादव के परिवार से जुड़े लेन-देन के साथ-साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और धन के दुरुपयोग का संदेह जताया गया है।

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के चयन प्रक्रिया को लेकर क्या है विवाद? प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने क्या कहा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले अमित कत्याल के खिलाफ ईडी की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद व्यापक छापे मारे गए थे। इन छापों के दौरान मामले से संबंधित काफी मात्रा में अवैध नकद और मूल्यवान संपत्तियाँ उजागर हुई थीं।

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