लेहः लद्दाख के पूर्ण राज्य की मांग के लिए हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें कम से कम चार लोग मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए। 24 सितंबर , बुधवार को हो रहे प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने पूर्ण राज्य के दर्जे और लद्दाख को छठी सूची में डालने की मांग की। इस बीच यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। अधिकारियों ने स्थिति को देखते हुए शहर में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है और एक जगह पर पांच से अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगाई है।
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आगजनी भी की जिसमें स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई और इसके साथ एक वाहन को भी आग लगा दी। हिंसा पर काबू पाने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चलाई और आंसू गैस के गोले छोड़े।
लद्दाख में लगा कर्फ्यू
अशांति के बाद केंद्रीय प्रशासन ने लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के अंतर्गत कर्फ्यू का ऐलान किया है। इसके बाद लेह में तुरंत विरोध प्रदर्शनों और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया।
पांच लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया गया, इसके साथ राजधानी लेह में बिना लिखित अनुमति के बिना कोई जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला गया था।
लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा द्वारा यह विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना था।
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लद्दाख अपेक्स बॉडी के अध्यक्ष थुपस्तान त्सवांग ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा “हम लद्दाख के चार मुद्दों पर लंबे समय से यहाँ आंदोलन चला रहे हैं। कुछ घटनाएँ हुईं जिनसे हिंसा भड़की। इस हिंसा के दौरान हमारे उद्देश्य के लिए 2-3 युवा शहीद हुए हैं। मैं लद्दाख के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हम इन युवाओं द्वारा आज दिए गए बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”
जम्मू-कश्मीर राज्य का था हिस्सा
गौरतलब है कि लद्दाख जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले इसका हिस्सा था। 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल-370 निरस्त करने के बाद लद्दाख और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। लद्दाख ने हालांकि उस दौरान केंद्रशासित प्रदेश बनने के फैसले का स्वागत किया था, अब राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है।
दरअसल जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से 2 की सेहत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद बंद कराने का आह्वान किया गया।
वांगचुक ने हालांकि 23 सितंबर, मंगलवार को अपने समर्थकों से हिंसा से बचने की अपील करते हुए 15 दिन का उपवास समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा था कि जेन-जी के उन्माद ने शांति प्रक्रिया को बाधित किया है।
सोनम वांगचुक ने प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है।