Homeभारतआपातकाल की 50वीं बरसी को भाजपा के 'संविधान हत्या दिवस' मनाने...

आपातकाल की 50वीं बरसी को भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने पर कांग्रेस ने क्या कहा?

नई दिल्लीः कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ आयोजनों पर बुधवार को पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए रोज नए कार्यक्रम और नारे देती है। राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी पूरे देश में पिछले एक साल से ‘संविधान बचाओ आंदोलन’ चला रही है। इससे बीजेपी घबरा गई है। इसलिए, आज वे लोग फिर से इमरजेंसी की बात कर रहे हैं। 

देश में आपातकाल के 50 साल होने पर बुधवार को भाजपा इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। इस पर पलटवार करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “जिनका देश की आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, जिनका संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा, वे कांग्रेस पार्टी को संविधान के ऊपर नसीहत दे रहे हैं।”

‘यह सरकार न संविधान की इज्जत करती है, न संसद की’

केंद्र सरकार को घेरते हुए खड़गे ने कहा कि वह विफल विदेश नीति, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक बदहाली जैसे मसलों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। सरकार अपनी नाकामी और कमजोरी छिपाना चाहती है। लोगों का ध्यान असल मुद्दों पर न जाए, इसलिए तरह-तरह की बातें करती रहती है। उन्होंने कहा कि इस समय देश में अघोषित आपातकाल है। यह सरकार न संविधान की इज्जत करती है, न संसद की।

खड़गे ने निशाना साधते हुए कहा कि जिस सरकार में लोगों को बोलने की आजादी नहीं है, उससे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। सिर्फ भाषण से पेट नहीं भरता, देश के लोगों का पेट राशन से भरता है।

उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार गरीब को और गरीब, अमीर को और अमीर बना रही है। हालत ऐसी है कि देश में गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, जिसे वह मिटा नहीं पा रही है। खड़गे ने कहा कि बीजेपी सरकार में चुनिंदा उद्योगपतियों को ही सब सौंपा जा रहा है। प्रधानमंत्री अपने ही दोस्तों को देश का सारा धन सौंप रहे हैं। यह एक तरह से अघोषित आपातकाल है।”

(यह खबर समाचार एजेंसी आईएएनएस फीड द्वारा प्रकाशित है। शीर्षक बोले भारत डेस्क द्वारा दिया गया है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version