करूर में ‘तमिलगा वेत्री कड़गम’ (टीवीके) की रैली के दौरान मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेता से नेता बने एक्टर विजय को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस एन. सेंथिलकुमार ने कहा कि यह ‘बड़ा मानव-जनित हादसा’ है और अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती। उन्होंने राज्य सरकार और पार्टी दोनों से तीखे सवाल किए और विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का आदेश दिया। यह जांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग की अगुवाई में होगी।
कोर्ट ने पार्टी के ‘लापरवाह आचरण’ और नेता (विजय) द्वारा शोक व्यक्त न करने की कड़ी निंदा की। जस्टिस सेंथिलकुमार ने कहा, “एक इंसान के तौर पर मैं मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, लेकिन एक जज के तौर पर इतनी मौतें देखना बेहद पीड़ादायक है। आप कहते हैं सिर्फ दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, पर जिम्मेदार कौन है? नेता विजय घटना के बाद गायब हो गए, लोगों को मदद करने वाला कोई नहीं बचा।”
अदालत ने यह भी कहा कि घटना स्थल से पार्टी नेताओं का भाग जाना और अब तक खेद तक न जताना नेता की मानसिकता को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा, इस तरह की राजनीतिक पार्टी किस काम की है?
जस्टिस सेंथिलकुमार ने राज्य के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर हसन मोहम्मद जिन्ना से सीधे पूछा, “एफआईआर दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई करने से आपको क्या रोकता है?” उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य प्रशासन आयोजकों के प्रति नरमी दिखा रहा है, जबकि कानून के सामने हर कोई समान है।
अदालत ने वायरल वीडियो का उल्लेख किया, जिनमें विजय के काफिले के दौरान मोटरसाइकिलें बस से टकराती दिखीं और एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं मिला। अदालत ने सवाल किया कि “बस ड्राइवर ने सब देखा, फिर भी नहीं रुका। क्या यह हिट एंड रन नहीं है? ऐसा मामला दर्ज क्यों नहीं हुआ?”
टीवीके पर लगे भ्रामक जानकारी और अराजकता फैलाने के आरोप
अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) जे. रविंद्रन ने कोर्ट को बताया कि टीवीके ने करूर के लिए अनुमति पहले दिसंबर में मांगी थी, जिसे अचानक 27 सितंबर के लिए आगे बढ़ा दिया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने शुरू में मना करने के बाद वेल्लुसामीपुरम के लिए अनुमति दी थी, जिसके लिए 10,000 लोगों के आने का अनुमान था और पुलिस ने वहाँ 559 कर्मियों को तैनात किया था, जबकि एक दिन पहले ईके पलानीसामी की रैली में केवल 137 पुलिसकर्मी थे।
एएजी ने आरोप लगाया कि टीवीके ने ही गलत समय (दोपहर 12 बजे) ट्वीट करके भीड़ को गुमराह किया, जबकि पुलिस ने अनुमति 3 बजे से 7 बजे तक के लिए दी थी। इस गलत जानकारी के कारण भीड़ सुबह से ही जमा होने लगी, जिससे विजय का काफिला आने पर भीड़ बेकाबू हो गई। हालांकि, कोर्ट ने जवाब में पूछा कि क्या इसका मतलब यह है कि पुलिस को भीड़ के आकलन में अधिक सतर्क नहीं होना चाहिए था।
विजय की प्रतिक्रिया और राजनीतिक संवेदनशीलता
भगदड़ के बाद घटनास्थल से चले जाने वाले विजय ने मंगलवार को एक वीडियो जारी कर मामले को और उलझा दिया। उन्होंने माफी मांगने से परहेज किया, केवल संवेदनाएँ व्यक्त कीं और कहा कि सच्चाई जल्द सामने आएगी। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सीधे चुनौती देते हुए कहा, “सीएम सर, अगर आप हम पर दोष मढ़ने के लिए बेताब हैं, तो मुझ पर कार्रवाई करें। उनके (कार्यकर्ताओं) पर हाथ न डालें। मैं घर पर या ऑफिस में मिलूंगा। आप मेरे साथ जो चाहें करें।”
इस बीच, सरकार ने विजय को एफआईआर में नामजद करने या तुरंत गिरफ्तार करने से परहेज किया, क्योंकि डीएमके को डर था कि इससे विजय के समर्थकों में राजनीतिक सहानुभूति बढ़ सकती है। हालांकि, कोर्ट की इस कड़ी न्यायिक फटकार ने सरकार को अभिनेता के साथ सीधे टकराव से बचा लिया है। कोर्ट ने टीवीके नेता आधाव अर्जुन के खिलाफ भी कार्रवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट फिलहाल रोड शो के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी होने तक ऐसे आयोजनों की अनुमति पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका पर भी विचार कर रहा है।