Friday, October 10, 2025
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किसके जीवन से प्रेरित है कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘चंदू चैम्पियन’?

बॉलीवुड अभिनेता कार्तिक आर्यन की आगामी फिल्म चंदू चैम्पियन का ट्रेलर रिलीज हो गया है। फिल्म में कार्तिक के ट्रांसफॉर्मेशन की हर कोई तारीफ कर रहा है। चंदू चैम्पियन एक खिलाड़ी की वास्तविक जीवन की कहानी और उसकी कभी हार न मानने की भावना पर आधारित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फिल्म किसके जीवन से प्रेरित है? दरअसल यह चंदू चैम्पियन फ्रीस्टाइल तैराक और भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर के जीवन पर आधारित है।

कौन हैं मुरलीकांत पेटकर?

मुरलीकांत पेटकर एक भारतीय तैराक और देश के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्होंने 1972 में जर्मनी के हेडलबर्ग में हुए ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक खेलों में 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। इतना ही नहीं, उन्होंने उस दौरान विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था, वह रिकॉर्ड था 37.33 सेकंड का।

1 नवंबर 1944 को महाराष्ट्र के सांगली जिले के पेठ इस्लामपुर में जन्में मुरलीकांत पेटकर साल 1965 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। यहां वे इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (EME) में एक मैकेनिक थे। लेकिन 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान उनके साथ एक बड़ा हादसा हो गया। जिस सेना के शिविर में उन्हें जाना था, उस पर हवाई हमला हो गया। इस हमले में उन्हें 9 गोली लगीं, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई और वो पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गए।

मुरलीकांत पेटकर को पद्मश्री से सम्मानित करते तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ( नई दिल्ली, मार्च 2018) फोटोः IANS

दो साल तक बिस्तर पर पड़े रहे, यादाश्त ने भी छोड़ दिया था साथ

इस हादसे को याद करते हुए पेटकर ने कहा था कि “दोपहर का समय था और भोजन करने के बाद आराम कर रहे थे। अचानक हवलदार मेजर चिल्लाते हुए आए। हममें से कुछ, जो आधे सोए हुए थे, ने सोचा कि हमें चाय के लिए बुलाया जा रहा है। कुछ जवान थे बस बाहर गए और मारे गए। पेटकर के मुताबिक, गोली लगने के बाद उन्हें पहले जम्मू-कश्मीर के एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में उन्हें मुंबई के नौसेना अस्पताल में ले जाया गया। वह दो साल तक बिस्तर पर रहे और कुछ समय के लिए उनकी याददाश्त भी चली गई। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें कुछ खेल को अपनाने की सलाह दी जो बाद में उनका उद्देश्य बन गया।

खेल के कई प्रारूपों में मुरलीकांत पेटकर बेहतर थे

ठीक होने के बाद मुरलीकांत पेटकर ने 1967 में महाराष्ट्र राज्य एथलेटिक मीट में भाग लिया।  शॉट पुट, भाला फेंक, डिस्कस थ्रो, टेबल टेनिस और तीरंदाजी में राज्य चैंपियन बने। उन्होंने 1968 के पैरालंपिक खेलों में टेबल टेनिस में भी भाग लिया। उन्होंने पहला राउंड भी क्लियर कर लिया। हालांकि, अगले राउंड में वे बाहर हो गए।

1969 में सेवा से छुट्टी दे दी गई

साल 1969 में सेवा से छुट्टी दे दी गई। इसके बाद उन्होंने तैराकी पर ध्यान केंद्रित किया। और आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने तैराकी में चार पदक जीते। और बाद के दिनों में पुणे में TELCO में कार्यरत हो गए। इससे जुड़ा एक किस्सा है कि टाटा उनके पास मदद के रूप में पैसे देने का प्रस्ताव लेकर गई थी लेकिन उन्होंने पैसे के बजाय काम मांगा। टाटा ने उनकी इच्छा रखी और टेल्को में नौकरी दे दी, जहां उन्होंने 30 सालों तक काम किया।

अर्जुन अवार्ड की पेटकर ने की थी मांग

मुरलीकांत ने 1982 में अपने लिए अर्जुन अवार्ड की मांग की थी लेकिन उनकी मांग के सरकार ने खारिज कर दिया था। इससे पेटकर काफी निराश हुए थे। उनका कहना था कि विकलांग होने की वजह से उन्हें ये अवार्ड नहीं दिया गया। हालांकि 2018 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा था कि मुझे खुशी है कि सरकार ने आखिरकार मेरी उपलब्धियों को मान्यता दी। मुझे तब निराशा हुई जब मुझे इस आधार पर अर्जुन पुरस्कार देने से इनकार कर दिया गया कि मैं एक विकलांग व्यक्ति हूं। पेटकर ने कहा था कि अर्जुन अवार्ड की मांग खारिज किए जाने के बाद  अपने सभी प्रमाणपत्रों और पदकों का एक बंडल बनाकर एक कोने में छिपा दिया था। और फैसला किया था कि वे कभी भी किसी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं करेंगे। हालांकि 25 जनवरी 2018 को  सरकार से फोन आया कि उन्हें पद्म के लिए चुना गया है।

फिल्म के लिए एक साल तक कार्तिक ने नहीं खाई चीनी

चंदू चैम्पियन के लिए कार्तिक आर्यन ने काफी मेहनत की है। खासकर फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन को लेकर। कार्तिक ने बताया कि उन्होंने एक साल तक चीनी को हाथ नहीं लगाया। एक समय में दिनभर में केवल एक बार खाना खाता था। चंदू चैम्पियन के लिए कार्तिन ने एक से डेढ़ साल तक कोई फिल्म नहीं की। बकौल कार्तिक- मैं रोबोट बन गया था। सुबह उठता था और कबीर (निर्देशख) सर जो बोलते थे वो करता था।

इस फिल्म में कार्तिक ने पहली बार कबीर के साथ काम किया है, जो ’83’, ‘एक था टाइगर’ और ‘बजरंगी भाईजान’ के लिए जाने जाते हैं। साजिद नाडियाडवाला और कबीर खान द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित यह फिल्म 14 जून को रिलीज होगी।

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