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बेंगलुरु भगदड़ मामला: कर्नाटक HC ने सिद्धारमैया सरकार से पूछे 9 सवाल, राज्य सरकार ने मांगा वक्त

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बेंगलुरु भगदड़ मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में हुई गिरफ्तारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से नौ सवाल पूछे हैं। अदालत ने जवाबदेही पर जोर दिया और घटना तथा उसके बाद की स्थिति से निपटने में सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए। मालूम हो कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 में खिताबी जीत के बाद आरसीबी के जीत के जश्न में भगदड़ मची थी जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की कार्रवाई का ब्यौरा मांगा और कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता (AG) से स्पष्टीकरण के लिए कई तीखे सवाल पूछे।

हाई कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करने का दिया आदेश 

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार (10 जून) को राज्य को बेंगलुरु भगदड़ मामले में सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब पेश करने की अनुमति दे दी। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी। कोर्ट ने इस हादसे का स्वतः संज्ञान लिया था। बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में चार जून को रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत का जश्न मनाने आए फैंस के बीच भगदड़ मची थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई। इस मामले पर अगले दिन हाई कोर्ट स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत इस हादसे के पीछे की वजह का पता लगाना चाहती है। अदालत जानना चाहती है कि क्या इस हादसे को रोका जा सकता था और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति सीएम जोशी की खंडपीठ के समक्ष बताया कि उन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया है। शशि किरण शेट्टी ने कहा, “न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और रिपोर्ट देने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। लंबित जमानत याचिकाओं में, जो कुछ भी यहां कहा जाता है, उसका इस्तेमाल वहां आरोपी कर रहे हैं।”

 हाई कोर्ट ने जवाब दाखिल करने में कठिनाई की वजह

हाई कोर्ट ने पूछा, “क्या आप यह कह रहे हैं कि आप हमारे निर्देशों का जवाब नहीं देंगे?” इस पर महाधिवक्ता ने कहा, “कृपया इसे कल रखें, हम जवाब दाखिल करेंगे। कुछ चीजें हैं”। हाई कोर्ट ने जवाब दाखिल करने में कठिनाई की वजह पूछी, जिस पर महाधिवक्ता ने कहा, “मैं खुली अदालत में नहीं रखना चाहता, हम पूर्वाग्रह से ग्रसित हो जाएंगे। स्वतंत्र जांच की रिपोर्ट आने दें और ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम पक्षपाती हैं। यह केवल एक महीने का मामला है।”

हाई कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को आदेश दिया कि वह अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में दाखिल करें। एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट से स्वतंत्र जांच की रिपोर्ट आने तक इंतजार करने की अपील की है।

कोर्ट ने आदेश में कहा, “हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल (आरजी) ने 5 जून के हमारे पिछले आदेश के अनुसार रिट याचिका (डब्ल्यूपी) दाखिल किया है। शशि किरण शेट्टी ने बताया कि एडवोकेट जनरल ने कहा है कि वह सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करना चाहते हैं, उन्हें गुरुवार तक या उससे पहले ऐसा करने की अनुमति है। आरजी यह सुनिश्चित करेंगे कि जवाब सुरक्षित रखा जाए।” इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को होगी।

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