Friday, October 10, 2025
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बोलते बंगले: कपिल देव का घर जहां छोटे शहर के संस्कार भी बसते हैं और चंडीगढ़ की यारी भी

आप राजधानी के मथुरा रोड से मटका पीर को पार करके खूबसूरत सुंदर नगर में दाखिल होते हैं। फिजाओं में बड़े भव्य बंगलों के बगीचों में लगे फूलों की खुशबू आपका स्वागत करती है। इधर देर रात के वक्त शेरों, चीतों और दूसरे खूंखार जंगली जानवरों की आवाजें सन्नाटे में खलल डालती हैं। बेशक यहां कोई जंगल नहीं है। पर सुंदर नगर से सटा है देश का सबसे बड़ा चिड़ियाघर।

इसी सुंदर नगर में ही है कपिल देव का आशियाना। इधर हजारों करोड़ों रुपए का कारोबार करने वाले उद्योगपति, नामवर वकील, नेता, डिप्लोमेट वगैरह रहते हैं। पर किसी का भी कद और म्यार कपिल देव जितना बुलंद नहीं है। कपिल देव के सामने सब बौने हैं। वे यहां 1984 में अपने शहर चंडीगढ़ को छोड़कर आ गए थे। वजह ये थी कि तब चंडीगढ़ से दिल्ली की सिर्फ एक फ्लाइट हुआ करती थी। दिल्ली में क्रिकेट के खेलने के सिलसिले में बार-बार आना होता था। कपिल देव के लिए चंडीगढ़ के अपने संयुक्त परिवार को छोड़ना मुश्किल था। पर कोई विकल्प भी नहीं था।

कपिल देव ने अपना आशियाना सुंदर नगर में बनाया तो चंड़ीगढ़ की रिवायत दिल्ली में भी जारी रही। फिर कपिल की पत्नी रोमी देव जी भी गजब की मेजबान हैं। उनका भी यकीन ‘अतिथि देवो भव’ में है। यानी मेहमान नवाजी में कपिल देव और उनकी पत्नी बेजोड़ हैं। कपिल-रोमी दोनों ही संस्कारी हैं।

वैसे कपिल देव का एक घर सुंदर नगर से करीब बंगाली मार्केट में भी रहा है। वहां से देव फीचर्स चलता था। देव फीचर्स में मशहूर संपादक एस.पी.सिंह और कुछ अन्य पत्रकार काम करते थे।।

छोटे शहर के संस्कार लिए कपिल देव

दिल्ली में इतने साल गुजारने के बाद भी कपिल देव में छोटे शहर के संस्कार और नैतिकताएं बची हैं। वे उन्हें बहुत प्रिय हैं। वे अपने पास आने वालों को विदा करने के लिए उसकी कार तक छोड़ने अवश्य जाते हैं। ये कपिल देव का अंदाज है। अगर वे दिल्ली में हैं तो सुंदर नगर के करीब दिल्ली गॉल्फ कोर्स में भी जाना पसंद करते हैं। उन्हें गॉल्फ खेलना पसंद है। आजकल वे प्रोफेशनल गॉल्फ टूर आफ इंडिया के प्रेसिडेंट हैं।

क्रिकेटर सैंडी गर्ग कपिल देव को तब से जानते हैं जब वे दिल्ली में लीग क्रिकेट खेलने आते थे। ये बातें 1970 के दशक की हैं। वे बताते हैं कि कपिल देव को गॉल्फ क्लब में प्रकृति के नजारे देखना पसंद है। कंक्रीट में तब्दील होती जा रही दिल्ली में गॉल्फ कोर्स एक इस तरह की जगह है, जहां आपको हरियाली ही हरियाली देखने को मिलती है। आप इधर का चक्कर लगाएं तो आपको उन परिंदों के दर्शन होते हैं, जिन्हें आप आमतौर पर नहीं देख पाते। कहने वाले कहते हैं कि इधर परिंदों की करीब 100 उन प्रजातियों को आप देख सकते हैं, जो बाहर नहीं मिलतीं। कपिल देव इधर आकर सबसे दोस्तों के अंदाज में बात करते हैं।

कपिल देव: चंडीगढ़ के यारों के कुक्कू

चंडीगढ़ के पुराने दोस्तों के कुक्कू और बाकी सबके कपिल पाजी का घर सच में बहुत सगना वाला यानी शुभ है। ये नहीं हो सकता कि वे शाम को घर में हों और उनसे उनका कोई दोस्त मिलने ना आए। जो घर आएगा उसे पंजाबी डिशेज वाला डिनर मिलेगा। उनसे मिलने आए शख्स को डिनर किए बगैर घर से जाने की इजाजत नहीं होती। कपिल देव ने अपनी बीजी मतलब मम्मी से इस परम्परा को देखा-सीखा था। चंडीगढ़ के दोस्तों में उनके रणजी ट्रॉफी के साथी जैसे राकेश जौली और डॉ. रविन्द्र चड्ढा शामिल हैं। इनसे कपिल देव का दशकों पुराना संबंध है।

कपिल देव के घर में उनके दोस्त डॉ.आलोक चोपड़ा, डॉ अश्वनी चोपड़ा ( दोनों सफदरजंग एनक्लेव आशलोक हॉस्पिटल के डायरेक्टर) और भारती एयरटेल के डायरेक्टर राजन भारती मित्तल वगैरह का आना-जाना रहता है। कपिल देव भी इनके घरों मे जाते रहते हैं। जब यार मिलते हैं तो ठहाके तो लगते ही हैं। गप-शप शुद्ध पंजाबी में ही होती है। पंजाबी में गप मारने का मजा ही कुछ और होता है। ये सब उस दौर के कपिल देव के मित्र हैं, जब वे चंड़ीगढ़ से दिल्ली शिफ्ट हुए ही थे।

कपिल देव के खूबसूरत बंगले में प्रवेश करते ही आपको करीने से सजा बगीचा दिखेगा। लगता है कि इसे कोई माली बड़े प्यार से देखता हैं। गुलाब, चमेली और दूसरे फूलों की महक आपका स्वागत करती है। आप कपिल देव के घर के ड्राइंग रूम में पहुंचते हैं। बड़ी ही सुरुचिपूर्ण तरीके से सजा है ड्राइंग रूम। इधर सोफे के अलावा बेहद आकर्षक कुर्सियां भी रखी हैं। दीवारों पर कुछ भव्य पेंटिग्स भी लगी हैं। एक टेबल पर कपिल देव को मिली ट्रॉफियां भी रखी हैं।

कपिल देव और वेंकटेश प्रसाद

जाहिर तौर, एक बड़ी फोटो उस यादगार लम्हे की याद दिलाती है जब वे 1983 में वर्ल्ड कप ले रहे हैं। सारे देश ने उस लम्हें को टीवी पर या फोटो में देखा है। जाहिर है, सारी ट्रॉफीज तो यहां पर नहीं रखी नहीं जा सकती। कपिल देव को सैकड़ों ट्रॉफीज मिली हैं।

आप कपिल देव के ड्राइंग रूम पर नजर दौड़ाते हैं, तो आपको अनेक फैमिली फोटो भी दिखाई देती हैं। उनकी कई फोटो रोमी और बेटी अमिया के साथ भी हैं। कुछ फोटो में कपिल अपने परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ भी हैं। कपिल देव के करीबी बताते हैं कि वे अपने चंड़ीगढ़ के ज्वाइंट फैमिली के साथ बिताए बचपन और जवानी के दिनों को बड़ी शिद्धत के साथ याद करते हैं। चंड़ीगढ़ के घर में सारे भाई-बहन रहते थे। खूब मस्ती होती थी।

पहले खुद ही अभिवादन करते हैं कपिल देव!

सुंदर नगर में कपिल देव के पड़ोसी और वायुदूत एयरलाइंस के फाउंडर चेयरमेन हर्षवर्धन बताते हैं कि कपिल देव सुंदर नगर रेजीडेंट वेलवेफयर एसोसिएशन के कार्यक्रमों जैसे दिवाली मेला और होली मिलन में शिरकत करते हैं। वे इलाके में कोई सेलिब्रेटी की तरह नहीं रहते। सबसे प्रेम से मिलते-जुलते हैं।

कपिल देव के बारे में इसी तरह की राय सिक्युरिटी एजेंसी एसआईएस के फाउंडर चेयरमेन आर.के. सिन्हा की भी है। वे भी कपिल देव के पड़ोसी हैं। सिन्हा जी कहते हैं कि कपिल देव बेहद सज्जन इंसान हैं। वे कभी-कभी सुंदर नगर के पार्क में भी सुबह मिल जाते हैं। पहले खुद ही अभिवादन करते हैं। जिस शख्स ने करोड़ों भारतवासियों को ना जाने कितनी बार गौरव के पल दिए हों उसकी सज्जन तो को देखकर आंखें झुकने लगती हैं।

जानकारों ने बताया कि सुंदर नगर में कपिल देव के बंगले के एक हिस्से पर एक किराएदार ने कब्जा जमाया हुआ था। उससे घर को खाली करवाने में कपिल देव को काफी जूझना पड़ा था। जानने वाले जानते हैं कि उनके घर को किराएदार से बीसीसीआई के अध्यक्ष एन.के.पी. साल्वे की कोशिशों से खाली करवाया गया था। साल्वे साहब मशहूर वकील हरीश साल्वे के पिता थे।

कपिल देव: मां का श्रवण

जब तक कपिल देव की मां थीं तो वे भी साल में कुछ वक्त कुक्कू के घर में ही बिताती थीं। जाड़े के दिनों में कपिल देव मां के साथ घर के बाहर धूप भी सेकते हुए दिख जाते थे। कपिल देव के पुराने दोस्त और राजधानी के जाने-माने चार्टर्ड एकाउंटेंट राजन धवन कहते हैं कि कपिल देव ने अपनी मां की उनके अंतिम दिनों में श्रवण कुमार की तरह सेवा की थी। मां के प्रति कपिल देव के मन आगाध श्रद्दा का भाव रहा। कपिल देव के पिता की जब मृत्यु हुई तब वे बहुत छोटे थे। तब उनकी मां ने उन्हें सहारा दिया था।

कपिल देव के दिन का आगाज सुबह वॉक से होता है। रोज दस बजे दफ्तर में पहुंच जाते हैं। तीन बजे तक वहां रहने के बाद गॉल्फ क्लब भी निकल जाते हैं। सात बजे तक घर पहुंच जाते है। हां, कपिल देव घर आकर कुछ देर तक अपने डॉगिज के साथ भी खेलते हैं। उनके डॉगिज के नाम भी जान लीजिए जादू, कद्दू और टोम।

यह घर कपिल देव के जीवन की उपलब्धियों का प्रतीक है। यह एक ऐसा स्थान है जहां वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ समय बिताते हैं, अपने जीवन की यादों को संजोते हैं और अपने भविष्य के बारे में सपने देखते हैं।

यह भी पढ़ें: बोलते बंगले: अमिताभ बच्चन के दिल्ली वाले घर ‘सोपान’ की कहानी जिसे उनके बाबूजी और माँ ने संवारा था

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