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JNUSU Election Results: जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट के दबदबे के बीच ABVP ने भी रचा इतिहास

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2024-25 (JNUSU Election Result) में लेफ्ट गठबंधन (AISA-DSF) के उम्मीदवारों ने अध्यक्ष समेत तीन अहम पदों पर जीत हासिल की। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 9 साल का सूखा खत्म करते हुए संयुक्त सचिव के पद पर जीत हासिल की। इन सबके बीच सबसे खास बात ये भी है कि एबीवीपी ने 42 काउंसलर सीटों में से 23 पर कब्जा जमाया है जो जेएनयू की छात्र राजनीति में एक अहम मोड़ को दिखाती है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव आयोग द्वारा सोमवार सुबह घोषित परिणामों के अनुसार अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) के नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल करते हुए 1,702 वोट हासिल किए। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी की शिखा स्वराज को 1,430 वोट मिले, जबकि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) समर्थित तैयब्बा अहमद को 918 वोट मिले।

डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) की मनीषा ने 1,150 वोट हासिल कर उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। जबकि एबीवीपी के निट्टू गौतम को 1,116 वोट मिले। डीएसएफ ने महासचिव पद भी जीत हासिल किया। डीएसएफ उम्मीदवार मुन्तेहा फातिमा को 1,520 वोट मिले, जबकि एबीवीपी के कुणाल राय को 1,406 वोट मिले।

संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी की जीत

संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी ने जीत दर्ज की। वैभव मीना को 1,518 वोट मिले, जबकि आइसा के नरेश कुमार (1,433 वोट) और प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (पीएसए) की उम्मीदवार निगम कुमारी (1,256 वोट) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

मीना की जीत से एबीवीपी को 2015-16 में सौरव शर्मा की इसी पद पर मिली जीत के बाद पहली बार केंद्रीय पैनल का पद मिला है। वहीं, पिछली बार एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर 2000-01 में जीत दर्ज की थी जब संदीप महापात्रा विजयी हुए थे।

गौरतलब है कि इस साल के चुनाव में वामपंथी गठबंधन में विभाजन देखने को मिला। आइसा और डीएसएफ एक गुट के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, जबकि एसएफआई और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बाप्सा) और पीएसए के साथ गठबंधन किया था। एबीवीपी ने स्वतंत्र रूप से अपने दम पर चुनाव लड़ा था।

एबीवीपी की 42 काउंसलर सीटों में 23 पर जीत

एबीवीपी ने जेएनयू के विभिन्न स्कूलों और विशेष केंद्रों में 44 काउंसलर सीटों में से 23 पर जीत हासिल की है। इसे खास माना जा रहा है। स्कूल ऑफ सोशल साइंस में 25 साल बाद एबीवीपी ने 5 में से 2 सीटों पर जीत दर्ज की। यह आमतौर पर वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे ही स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में 5 काउंसलर पदों में से 2 सीटों पर विद्यार्थी परिषद की विजय हुई है। यहां भी वामपंथ का दबदबा लंबे समय से रहता आया है। इसके अलावा स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस में 3 में से 2 सीटें भी एबीवीपी के नाम रही।

बताते चलें कि 25 अप्रैल को हुए मतदान में 7,906 पात्र छात्रों में से लगभग 5,500 ने मतदान किया। हालांकि मतदान 2023 में दर्ज 73 प्रतिशत से थोड़ा कम था, लेकिन 2012 के बाद से सबसे अधिक मतदानों में से एक रहा।
चार केंद्रीय पैनल पदों के लिए 29 उम्मीदवार और 44 पार्षद सीटों के लिए 200 उम्मीदवार मैदान में थे।

कोविड की वजह से चार साल के अंतराल के बाद पिछले साल मार्च 2024 में हुए चुनावों में लेफ्ट गठबंधन ने चार केंद्रीय पैनल पदों में से तीन पर जीत हासिल की थी। जबकि BAPSA, जिसने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था, उसने एक सीट पर जीत हासिल की थी।

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