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ISI-LeT की साजिश है पहलगाम हमला, केवल पाक आतंकियों ने दिया था घटना को अंजाम

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों के ऊपर हुए आतंकी हमले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ था। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों के हवाले से लिखा कि पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तान के राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व की एक गुप्त साजिश थी। इस हमले को पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया था। 

ISI-LeT का संयुक्त हमला

सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह हमला आईएसआई और लश्कर का एक संयुक्त हमला था। इसके लिए आईएसआई ने लश्कर के कमांडर साजिद जट्ट को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए हमले को अंजाम देने के लिए कहा था। हमले की गोपनीयता बनाए रखने के लिए इसमें पाकिस्तानी आतंकियों को ही शामिल किया गया था। इसीलिए हमले में कश्मीरी आतंकवादियों को शामिल नहीं किया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में लश्कर के आंतिकयों से भी न्यूनतम मदद ली गई। 

पहलगाम हमले का नेतृत्व सुलेमान कर रहा था। सुलेमान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके में प्रशिक्षण लिया था। सुलेमान के साथ दो अन्य आतंकवादी शामिल थे। 

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए गए सैटेलाइट फोन विश्लेषण से पता चला है कि सुलेमान 15 अप्रैल को त्राल के जंगलों में था। इससे यह संकेत स्पष्ट तौर पर दिखता है कि वह हमले से एक हफ्ते पहले तक यहीं मौजूद था। 

पुंछ हमले में शामिल था सुलेमान

सुलेमान साल 2023 में पुंछ में सेना के ट्रक के ऊपर हुए हमले में भी शामिल था। इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। हालांकि, सुरक्षा सूत्रों ने अन्य दो आतंकियों की पहचान उजागर नहीं की थी। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। इनमें से अधिकतर पर्यटक थे। 

जम्मू-कश्मीर पुलिस हालांकि पहले पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसी और अली भाई की भूमिका पर संदेह था। हालांकि, अभी तक की जांच में केवल सुलेमान की भूमिका ही स्पष्ट हो सकी है। वहीं, स्थानीय कश्मीरी आतंकवादी आदिल हुसैन ठोकर की भी भूमिका स्पष्ट नहीं हो सकी है कि उसने आतंकियों को जरूरी मदद मुहैया कराई थी। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा “किसी भी स्थानीय आंतकवादी ने इस जघन्य हत्याकांड में हिस्सा नहीं लिया था और न ही उसे आतंकी साजिश की पूरी जानकारी थी।” बीते महीने एनआईए ने इस मामले में पूछताछ के लिए दो स्थानीय लोगों को बुलाया था। परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर थे। इनकी भी भूमिका सीमित मानी जा रही है क्योंकि इन्होंने कुछ रुपयों के बदले हथियारबंद पाकिस्तानी आतंकियों को खाना और रहने की व्यवस्था कराई थी। बैसरन घाटी में हुए हमले के बारे में इन्हें कोई जानकारी नहीं थी। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर घाटी में इस समय लगभग 60 से अधिक विदेशी आतंकवादी सक्रिय हैं। वहीं, तीन स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं। 

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