इस्लामाबादः आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी ने कबूल किया है कि पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में शामिल होने का निर्देश दिया था। यह स्वीकारोक्ति ऑपरेशन सिंदूर के कई महीनों बाद हुई है। इससे पहले आतंकियों के जनाजे में वर्दी पहने पाकिस्तानी अधिकारियों के शामिल होने की की तस्वीरें आईं थीं।
इलियास कश्मीरी ने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर शहर में मारे गए आतंकियों के जनाजे में शामिल होने के लिए सेना प्रमुख की ओर से सीधे आदेश जारी किए गए थे।
इलियास कश्मीरी ने क्या दावा किया?
कश्मीरी ने यह भी दावा किया कि इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (ISPR) के महानिदेशक, पाकिस्तानी सेना की मीडिया और पब्लिक विंग ने बहावलपुर में कैंपों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों के बीच संबंधों को छिपाने की कोशिश की थी।
जैश कमांडर की यह स्वीकारोक्ति तब आई है जब पाकिस्तान लगातार यह कहता रहा है कि उसकी धरती पर कोई आतंकवादी समूह नहीं है। पाकिस्तान सेना के साथ-साथ सरकार ने भी बहावलपुर में जैश कैंप के अस्तित्व को नकारती रही है।
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं द्वारा किए गए हमले में 7 मई को मारे गए 100 से अधिक आतंकवादियों के जनाजे में शामिल होने वाले पाकिस्तान सेना कर्मियों और पंजाब प्रांत के मुख्य पुलिस अधिकारियों के नाम साझा किए थे।
इससे पहले मंगलवार (16 सितंबर) को इलियास कश्मीरी ने कबूल किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मौलाना मसूद अजहर का परिवार पूरी तरह से तबाह हो गया था। उसने कहा था कि भारतीय सेना के हमलों में उसके परिवार और करीबियों समेत 10 लोग मारे गए थे।
भारतीय सेना ने लांच किया था ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मारे गए पर्यटकों के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लांच किया था। पहलगाम में आतंकियों के हमले में 26 लोग मारे गए थे।
भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था। इन जगहों को हमले के लिए सावधानीपूर्वक चुना गया था। इनमें कोटली, मुरीदके और बहावलपुर जैसे स्थान शामिल थे, जहां जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकाने हैं।
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भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर लांच किए जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ से भी सीमा पार ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए गए। दोनों-देशों के बीच तीन दिनों तक संघर्ष जारी रहा। 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता हुआ था।
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर भी कुछ कदम उठाए थे। इसमें सिंधु जल संधि को निरस्त करना और पाकिस्तान से व्यापार पर प्रतिबंध लगाना प्रमुख रूप से शामिल है। इसके अलावा हवाई क्षेत्र पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनैतिक स्तर पर तनाव जारी है।