जैसलमेर: राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए भीषण बस अग्निकांड ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सार्वजनिक परिवहन वाले वाहनों में आपातकालीन निकास नहीं होना किस तरह कई लोगों की जान जोखिम में डाल सकता है, इसे भी लेकर चर्चा हो रही है। जैसलमेर से रवाना हुई और जोधपुर जा रही इस निजी बस में आग लगने से घटनास्थल पर ही 20 लोगों की मौत हो गई थी।
वहीं, 10 साल के एक और बच्चे की इलाज के दौरान मौत की खबर बुधवार सुबह आई। इसी के साथ मरने वालों में बच्चों की संख्या बढ़कर 4 हो गई। 15 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। बस में मिले कई शव इतने जल चुके हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है, और डीएनए परीक्षण से उनकी पहचान की पुष्टि हो सकेगी।
एक हफ्ते पहले मोडिफाई हुआ था बस
बस में आग जैसलमेर शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर थाईयात गाँव के पास आग लगी। बस के अगले हिस्से में आग लगी। इससे बस का आगे का दरवाजा जाम हो गया और बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया, जिससे यात्री बस के अंदर ही फँस गए। कुछ देर बाद दरवाज़ा तोड़ने के लिए खुदाई करने वाली मशीन लगानी पड़ी। जब तक यात्रियों तक मदद पहुँची, तब तक कई लोगों की मौत हो चुकी थी और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कुछ यात्री, जो खिड़कियाँ तोड़कर बाहर कूद गए, आग से बच गए।
इस बस को करीब एक हफ्ते पहले ही मोडिफाई करके नॉन एसी से एसी बनाया गया था। जोधपुर स्थित केके ट्रैवल्स द्वारा संचालित ये बस अपने निर्धारित समय मंगलवार दोपहर 3 बजे जैसलमेर से जोधपुर के लिए रवाना हुई थी। जीवित बचे लोगों और अधिकारियों के अनुसार आग उस समय लगी जब बस जैसलमेर आर्मी स्टेशन के पास पहुंची। अभी शुरुआती तौर पर माना जा रहा है कि एयर कंडीशनिंग सिस्टम में शॉर्ट सर्किट के कारण गैस का रिसाव हुआ जिससे बस का अगला हिस्सा आग की चपेट में आ गया और तेजी से पर्दों और सीट कुशन में आग फैल गई। इसके अलावा इसकी भी जांच होगी कि क्या बस में कोई पटाखा वगैरह या ज्वलनशील पदार्थ तो नहीं था।
प्रत्यक्षदर्शियों और जीवित बचे लोगों के अनुसार आग लगने के बाद पीछे बैठे यात्रियों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि बस में बाहर निकलने का एक दरवाजा आगे की ओर था। पोखरण के विधायक प्रताप पुरी ने कहा कि आग ने पूरी बस को कुछ ही मिनटों में अपनी चपेट में ले लिया। वाहन के अंदर से 19 जले हुए शव बरामद किए गए, जबकि 16 गंभीर रूप से घायल यात्रियों का शुरू में जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में इलाज किया गया और बाद में उन्हें जोधपुर स्थानांतरित कर दिया गया। उनमें से एक, 75 वर्षीय हुसैन खान ने कल ही इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
अधिकारियों के अनुसार बस को मॉडिफाई किया गया था और उसमें बहुत सारी चीजें ऐसी थी, जो ज्वलनशील हैं और तेजी से आग पकड़ती हैं। इसकी वजह से इस हादसे ने बेहद भयावह रूप ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक जोरदार धमाका हुआ और कुछ ही मिनटों में बस आग की लपटों में घिर गई। अधिकारियों ने बताया कि फोरेंसिक जाँच से आग लगने के कारणों का पता चलेगा।
जैसलमेर बस हादसा: जैसलमेर और जोधपुर के लोग थे सवार
अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार मृतकों में से छह जोधपुर के हैं। जबकि बाकी जैसलमेर के निवासी थे। अधिकारियों ने कई घायलों की पहचान की, जिनमें महिपाल सिंह (50), ओलाराम (45), यूनुस (8), मनोज भाटिया (45), इकबाल (52), फिरोज (40), बागा बाई (54), पीर मोहम्मद (60), जीवराज (15), इमामत (60), विशाखा (24), आशीष (26), रफीक (79), लक्ष्मण (35), और उबैदुल्लाह (48) शामिल हैं।
जीवित बचे मनोज भाटिया के परिवार ने कहा कि आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ समझने से पहले ही बस का अगला हिस्सा इसकी चपेट में आ गया। सीट कुशन और पर्दे ने तुरंत आग पकड़ ली, जिससे सभी लोग अंदर फंस गए।
पहली मदद पास के सेना के बैटल एक्स डिवीजन से आई। हालांकि, जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह के अनुसार भीषण गर्मी के कारण बचाव अभियान में लगभग चार घंटे की देरी हुई। बस की बॉडी इतनी गर्म थी कि उसमें फंसे शवों को निकालने में देरी हो रही थी। क्षेत्र में चल रहे युद्धाभ्यास के कारण, सेना के वाहन परिवहन के लिए उपलब्ध नहीं थे।
जिला प्रशासन ने अब तक राजेंद्र सिंह चौहान, हसीना, इरफान, बरकत खान, गोपीलाल, अयूब खान और नासिरा के शवों की पहचान कर ली है। पहचान में मदद के लिए फोरेंसिक और डीएनए टीमों को घटनास्थल पर तैनात किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवारों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) से 2-2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मंगलवार शाम दुर्घटनास्थल का दौरा किया और फिर घायलों से मिलने जोधपुर गए।
अधिकारियों ने अब बस ऑपरेटर और हाल ही में किए गए एसी मॉडिफिकेशन की जाँच शुरू कर दी है। सुरक्षा मंजूरियों और मॉडिफिकेशन के बाद उचित जाँच की गई थी या नहीं, इस पर सवाल उठ रहे हैं। बस की जाँच के लिए उसे आर्मी स्टेशन ले जाया गया है।