जयपुर: राजस्थान के जयपुर में रविवार देर रात सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में लगी भीषण आग से आठ मरीजों की मौत हो गई। अस्पताल के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि अब भी कई मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार सुबह अस्पताल का दौरा किया और जाँच के आदेश दिए।
जांच के लिए एक उच्चस्तरीय छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। फिलहाल जानकारी के अनुसार मृतकों में दो महिलाएँ और चार पुरुष शामिल हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयपुर की इस घटना पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की पोस्ट में लिखा गया है, ‘राजस्थान के जयपुर के एक अस्पताल में आग लगने की घटना में हुई जान-माल की हानि बेहद दुखद है। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ: प्रधानमंत्री।’
SMS अस्पताल में क्या हुआ था, कैसे लगी आग?
एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ के अनुसार आग अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित ट्रॉमा आईसीयू में लगी। शॉर्ट सर्किट इसकी वजह मानी जा रही है। आग तेजी से फैली और कुछ ही मिनटों में जहरीला धुआँ वार्ड में भर गया। उस समय 24 मरीज भर्ती थे, जिनमें से 11 ट्रॉमा आईसीयू में और 13 बगल के सेमी-आईसीयू में थे।
डॉ. धाकड़ ने इससे पहले बताया था, ‘ज्यादातर मरीज बेहोशी की हालत में थे और हिल-डुल नहीं पा रहे थे। नर्सिंग अधिकारियों और वार्ड स्टाफ सहित हमारी ट्रॉमा सेंटर टीम ने ट्रॉलियों की मदद से तुरंत लोगों को निकालना शुरू कर दिया। हम ज्यादा से ज्यादा मरीजों को सुरक्षित जगह पहुँचाने में कामयाब रहे, लेकिन गंभीर रूप से बीमार छह मरीजों को सीपीआर और अन्य सभी प्रकार के प्रयासों के बावजूद बचाया नहीं जा सका।’
पुलिस ने घटना को लेकर क्या बताया है?
सामने आई जानकारी के अनुसार कुछ घंटों बाद दमकलकर्मियों और अस्पताल के कर्मचारियों ने मिलकर आग पर काबू पा लिया और आस-पास के कमरों और प्रभावित जगहों से मरीजों को बाहर निकाला। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि दोनों आईसीयू से मरीजों को निकाला गया है, हालाँकि कई मरीजों को ले जाने से पहले ही वे धुएं के संपर्क में आ चुके थे।
वहीं, जयपुर के पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसेफ ने कहा कि एफएसएल टीम की जाँच से आग लगने के कारणों का पता चल सकेगा। जोसेफ ने आगे कहा, ‘पहली नजर में, यह शॉर्ट सर्किट लग रहा है, लेकिन असल वजह एफएसएल जाँच के बाद ही पता चलेगा। मृतकों के शवों को शवगृह में रखवा दिया गया है। सब कुछ ठीक होने के बाद, शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा।’
मृतकों के परिजनों ने क्या कहा?
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार एक मृतक के परिजन के अनुसार आईसीयू में आग बुझाने के लिए कोई उपकरण नहीं था। अपनी माँ को खोने वाले एक शख्स ने कहा, ‘आईसीयू में आग लग गई, लेकिन उसे रोकने के लिए कुछ भी नहीं था। न तो अग्निशामक यंत्र थे, न ऑक्सीजन सिलेंडर, यहाँ तक कि आग बुझाने के लिए पानी भी नहीं था। वहाँ कोई सुविधा ही नहीं थी।’
शख्स ने रात में मची अफरा-तफरी और हताशा की बात बताते हुए कहा, ‘हम असहाय होकर देखते रहे जब वार्ड में धुआँ भर गया। मेरी माँ को बचाया नहीं जा सका।’
राजस्थान सरकार ने शॉर्ट सर्किट के कारण का पता लगाने और सुरक्षा या बिजली के रखरखाव में किसी भी चूक का आकलन करने के लिए घटना की उच्च-स्तरीय जाँच के आदेश दिए हैं। अस्पताल में गंभीर रूप से घायल पांच मरीजों का इलाज जारी है, वहीं अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा की जाएगी।
जांच के लिए बनी उच्चस्तरीय समिति में कौन-कौन?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस दुर्घटना की विस्तृत जांच के लिए चिकित्सा विभाग के आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। इसमें अतिरिक्त निदेशक (अस्पताल प्रशासन, राजमेस) मुकेश कुमार मीणा, मुख्य अभियंता (राजमेस) चंदन सिंह मीणा, मुख्य अभियंता (विद्युत, पीडब्ल्यूडी) अजय माथुर, अतिरिक्त प्रधानाचार्य (एसएमएस मेडिकल कॉलेज) डॉक्टर आरके जैन और मुख्य अग्निशमन अधिकारी (नगर निगम, जयपुर) भी शामिल हैं।
जांच समिति को आग लगने के कारणों, अस्पताल प्रबंधन की अग्निशमन व्यवस्था, मरीजों की सुरक्षा और निकासी प्रक्रिया की जांच करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देने का निर्देश दिया गया है। आदेश के अनुसार, समिति को घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी होगी।