Friday, October 10, 2025
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‘प्रेस का बैज आतंक की ढाल नहीं हो सकता’, अल जजीरा के 5 पत्रकारों के मारे जाने पर क्या बोला इजराइल

तेल अवीव: गाजा में इजराइली एयर स्ट्राइक में मारे गए अल जजीरा के पांच पत्रकारों पर इजराइल की सेना की प्रतिक्रिया सामने आई है। इजराइली सेना ने हमले की पुष्टि की है। साथ ही इजराइल ने दावा किया है कि मारे गए पत्रकारों में से एक का संबंध हमास से था। एयर स्ट्राइक में मारे गए पत्रकारों में अनस अल-शरीफ का नाम शामिल है जो एक जाना-पहचाना नाम थे। बकौल इजराइली सेना अल-शरीफ हमास से जुड़े थे, जिसने ‘पत्रकार के रूप में खुद को पेश किया और रॉकेट हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादी समूह का नेतृत्व किया।’

दूसरी ओर अल जजीरा ने पत्रकारों को मारे जाने की घटना की निंदा करते हुए इसे ‘लक्षित हत्या’ बताया है। अल जजीरा के अनुसार इस हमले का उद्देश्य गाजा से स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाना था, जहाँ अंतरराष्ट्रीय मीडिया की पहुँच पर कड़े प्रतिबंध हैं। प्रेस स्वतंत्रता समूहों के अनुसार लगभग दो साल पहले शुरू हुए युद्ध के बाद से यह हमला अल जजीरा के लिए सबसे घातक घटनाओं में से एक है। अनुमान के अनुसार पिछले दो साल में इस युद्ध के दौरान 200 से ज्यादा मीडियाकर्मी मारे गए हैं।

गाजा में मारे गए पांच पत्रकार कौन-कौन हैं?

हालिया घटना में मारे गए पांचों पत्रकार अल जजीरा टीवी चैनल से जुड़े थे। अल जजीरा ने भी इसकी पुष्टि की है। उसके अनुसार इस घटना में संवाददाता अनस अल-शरीफ, साथी रिपोर्टर मोहम्मद करीकेह और कैमरा ऑपरेटर इब्राहिम जहीर, मोहम्मद नौफल, मोमेन अलीवा शामिल हैं।

यह ग्रुप अल-शिफा मेडिकल कॉम्प्लेक्स के सामने एक तंबू में था, जहाँ मीडियाकर्मी लंबे समय से काम करते रहे हैं। 28 वर्षीय अल-शरीफ, गाजा में जारी युद्ध को कवर करने वाले सबसे जाने-माने अरबी भाषी पत्रकारों में से एक थे। अपनी मौत से कुछ घंटे पहले, उन्होंने एक्स पर पास में हुए इजराइली हमलों की फुटेज पोस्ट की थी।

बहरहाल, इन हत्याओं ने गाजा में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर भी बहस छेड़ दी हैं। गौरतलब है कि मौजूदा समय में इजराइली सैन्य सुरक्षा की इजाजत के बिना विदेशी प्रेस के प्रवेश पर प्रतिबंध के कारण स्थानीय पत्रकार फिलहाल सबसे ज्यादा कवरेज कर रहे हैं।

प्रेस बैज आतंकवाद की ढाल नहीं है: आईडीएफ

पूरे मामले पर एक बयान में इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने अनस अल-शरीफ को एक ‘हमास आतंकवादी’ बताया है, जिन्होंने पत्रकारिता को कवर के रूप में इस्तेमाल किया। आईडीएफ ने दावा किया है कि गाजा से मिली खुफिया जानकारी – जिसमें रोस्टर, प्रशिक्षण रिकॉर्ड और वेतन दस्तावेज शामिल हैं – वे अल शरीफ के हमास से करीब से जुड़े होने की बात को साबित करते हैं। 

IDF के अनुसार, अल-शरीफ ने एक हमास सेल का नेतृत्व किया जो इजराइली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमलों के लिए जिम्मेदार था। बयान में कहा गया है, ‘प्रेस बैज आतंकवाद के लिए ढाल नहीं है।’ सेना ने अल जजीरा पर हमास के गुर्गों को अपनी रिपोर्टिंग टीमों में शामिल करने का भी आरोप लगाया है। 

इजराइल लंबे समय से कतर स्थित अल जजीरा नेटवर्क पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है। जबकि अल जजीरा का कहना है कि ऐसे दावे उसके पत्रकारों पर हमलों को सही ठहराने के लिए राजनीति से प्रेरित प्रयास हैं।

बैन है अल जजीरा का इजराइल में प्रसारण

इजराइल और अल जजीरा के बीच वर्षों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। इजराइली सरकार ने इस प्रसारणकर्ता को देश के अंदर काम करने से प्रतिबंधित किया हुआ है। गाजा में हालिया युद्ध ने दोनों के बीच और तनाव बढ़ा दिया है। कतर इस नेटवर्क (अल जजीरा) को वित्तपोषित करता है। वह हमास के राजनीतिक नेतृत्व को भी अपने चैनल पर जगह देता रहा है। वह इजराइल और हमास के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता में मध्यस्थता भी कर चुका है। आलोचकों का मानना है कि इससे चैनल के प्रति इजराइली अविश्वास बढ़ता है, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह गाजा से जमीनी स्तर पर कवरेज देने वाले कुछ चैनलों में से एक है।

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