Tuesday, August 26, 2025
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इजराइल ने गाजा के अस्पताल को बनाया निशाना, 4 पत्रकारों समेत 19 लोगों की मौत

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अस्पताल की चौथी मंजिल पर दोहरा हमला हुआ। पहले एक मिसाइल गिरी, फिर कुछ ही देर बाद बचाव दल के पहुँचने पर दूसरी मिसाइल गिरी।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार को दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े नासिर अस्पताल पर एक इजराइली हवाई हमला हुआ, जिसमें कम से कम 19 लोग मारे गए। मरने वालों में चार पत्रकार भी शामिल थे। एसोसिएट प्रेस के अनुसार मंत्रालय ने कहा कि अस्पताल की चौथी मंजिल पर दोहरा हमला हुआ। पहले एक मिसाइल गिरी, फिर कुछ ही देर बाद बचाव दल के पहुँचने पर दूसरी मिसाइल गिरी। जून महीने में भी इजराइल ने नासिर अस्पताल को निशाना बनाया था जिसमें तीन लोगों की मौत और दस घायल हुए थे।

ताजा हमले में 19 लोगों की मौत हुई है जिसमें चार पत्रकार भी शामिल हैं। इनमें 33 वर्षीय मरियम दक्का, जो एसोसिएटेड प्रेस के लिए फ्रीलांस करती थीं, अल जजीरा के पत्रकार मोहम्मद सलाम और रॉयटर्स के कैमरा कॉन्ट्रैक्टर हुस्साम अल-मसरी शामिल हैं। रॉयटर्स के ही फोटोग्राफर हतिम खालिद इस हमले में घायल हुए। मरियम दक्का का 12 वर्षीय बेटा युद्ध के शुरुआती दिनों में गाजा से बाहर निकाला गया था, जबकि वह लगातार नासिर अस्पताल से रिपोर्टिंग कर रही थीं।

पत्रकारों की मौत ने इस युद्ध को प्रेस के लिए सबसे घातक संघर्ष बना दिया है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) के अनुसार, 22 महीनों में गाजा में 192 पत्रकार मारे गए हैं। जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक 18 पत्रकारों की मौत हुई है।

इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय और सेना ने इस हमले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब इजराइली सेना ने अस्पतालों को निशाना बनाया हो। पहले भी इजराइल ने कई अस्पतालों पर हमले या छापे मारे हैं, यह दावा करते हुए कि वहां से हमास के लड़ाके संचालन कर रहे थे। लेकिन इसका ठोस सबूत सामने नहीं रखा गया। इसी साल जून में नासिर अस्पताल पर हुए एक हमले में तीन लोगों की मौत और दस घायल हुए थे। उस समय इजराइल ने कहा था कि उसने हमास के “कमांड एंड कंट्रोल सेंटर” को निशाना बनाया।

लेबनान का हिज्बुल्लाह निशस्त्रीकरण प्रस्ताव

इस बीच लेबनान सरकार ने 2025 के अंत तक हिज्बुल्लाह को निशस्त्र करने की दिशा में काम करने का फैसला लिया, जिसे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐतिहासिक कदम बताया।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे क्षणिक और ऐतिहासिक निर्णय करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि लेबनानी सेना इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाती है, तो इजराइल भी “पारस्परिक उपायों” के लिए तैयार होगा, जिसमें दक्षिण लेबनान से इजराइली सैनिकों की चरणबद्ध वापसी शामिल हो सकती है।

नेतन्याहू के कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर बयान जारी कर कहा कि यह फैसला लेबनान को “गैर-राज्यीय ताकतों” के प्रभाव से मुक्त होकर अपनी संप्रभुता बहाल करने में मदद करेगा। इस प्रक्रिया में अमेरिका की अगुवाई वाले सुरक्षा तंत्र की भी भूमिका होगी।

इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर इजराइल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आलोचना को बढ़ा दिया है। गाजा अस्पताल पर हमला न केवल मानवीय संकट को गहरा करता है बल्कि प्रेस स्वतंत्रता पर भी गंभीर चोट है। वहीं लेबनान का हिज्बुल्लाह निशस्त्रीकरण का प्रस्ताव इजराइल-लेबनान संबंधों में एक नया मोड़ ला सकता है, जो दशकों से संघर्ष और तनाव का मैदान बने हुए हैं।

पिछले 14 महीनों से इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका ने नवंबर में एक संघर्ष विराम समझौता कराया था। यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजराइल पर हमले के बाद शुरू हुआ था। इस युद्ध में 4,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और करीब 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।

संघर्ष विराम के बावजूद, हिज्बुल्लाह ने अपना हथियार छोड़ने से इनकार कर दिया है। हिज्बुल्लाह का कहना है कि जब तक इजराइल लेबनान के अंदर की पांच विवादित पहाड़ियों से पीछे नहीं हटता और उसके लड़ाकों पर हो रहे हवाई हमले बंद नहीं करता, तब तक वह अपने हथियार नहीं डालेगा।

समझौते पर अलग-अलग राय

लेबनान सरकार के इस फैसले को हिज्बुल्लाह ने अमेरिका के दबाव के आगे झुकना बताया है। हिज्बुल्लाह का कहना है कि यह कदम इजराइल के हितों को पूरा करता है। संगठन का मानना है कि संघर्ष विराम समझौते के तहत उन्हें केवल लिटानी नदी के दक्षिण में अपने लड़ाकों को पीछे हटाना है। जबकि, इजराइल और अमेरिका इस समझौते की व्याख्या इस तरह करते हैं कि इसके तहत हिज्बुल्लाह को पूरे लेबनान में निरस्त्र होना होगा।

संघर्ष विराम के बाद से, हिज्बुल्लाह ने सीमावर्ती क्षेत्र से अपने अधिकांश लड़ाकों और भारी हथियारों को हटा लिया है, लेकिन इजराइली अधिकारियों का आरोप है कि हिज्बुल्लाह लिटानी नदी के उत्तर में अपने हथियार और मजबूत ठिकाने फिर से बना रहा है। इस पूरी स्थिति के बीच, यह जरूरी है कि दोनों पक्ष “सहयोग की भावना” से काम करें ताकि हिज्बुल्लाह को निरस्त्र करने और दोनों देशों की स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के साझा लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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