Friday, October 10, 2025
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एयर फ्रायर का इस्तेमाल आप भी करते हैं! क्या इससे कैंसर होने का खतरा है?

अगर हेल्दी खाने पकाने और खाने में आपकी भी विशेष रूचि रहती है तो जाहिर है अक्सर तली हुई या डीफ फ्राई चीजों से आप बचने की कोशिश करते होंगे। कई लोग सब्जियों और अन्य चीजों में डाली जाने वाली तेल की मात्रा से भी खुद को बचाते हैं। ऐसे में अब एयर फ्रायर का चलन जोर पकड़ने लगा है। इसके जरिए गर्म हवा से खाने को पकाया जाता है। इस में बहुत कम तेल या फिर कई बार तो तेल का बिल्कुल भी इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती। हालांकि, हाल में कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आ रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है है कि एयर फ्रायर का अधिक इस्तेमाल कैंसर सहित कई बीमारियां दे सकता है।

एयर फ्रायर का इस्तेमाल क्या खरतनाक है, एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई की वरिष्ठ चिकित्सक और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. रूही पीरजादा बताती हैं कि साल 2013 के बाद बने अधिकांश एयर फ्रायर टेफ्लॉन का उपयोग करके बनाए गए हैं, जिसमें हानिकारक पेरफ्लूरूक्टेनोइक एसिड (perfluorooctanoic acid, एक सिंथेटिक रसायन) का इस्तेमाल नहीं है। इसलिए इनका उपयोग करना सुरक्षित है।

हालांकि, कहानी इतनी भी सरल नहीं है। गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल में कंस्लटेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ पूजा बब्बर का कहना है कि मुद्दा यह है कि ‘एयर फ्रायर की कोटिंग’ सिरेमिक और प्लास्टिक से बनी होती है। ऐसे में जब यह उच्च तापमान के संपर्क में आता है, तो यह एक रसायन बनाती है जो आपके डीएनए और आरएनए के साथ संपर्क करता है। इससे नुकसान हो सकता है और ये ‘संभावित कार्सिनोजेन (carcinogen) का स्रोत’ हो सकता है।

एक केमिकल जिसे एक्रिलामाइड (acrylamide) कहा जाता है, वह कई विशेषज्ञों के लिए चिंता का मुख्य कारण है। यह तब बनता है जब भोजन को 120 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर गर्म किया जाता है। इस लिहाज से देखिए तो
इसका मतलब यह नहीं है कि एक्रिलामाइड का निर्माण केवल एयर फ्रायर के इस्तेमाल में होता है।

एयर फ्रायर का कैसे करें इस्तेमाल?

दरअसल, खाना पकाने की लगभग सभी विधियों, जिनमें डीप-फ्राइंग और यहां तक ​​कि बेकिंग भी शामिल है, वहां अगर भोजन को बहुत अधिक तापमान पर गर्म या पकाया जाता है, तो एक्रिलामाइड बनता है। हालांकि, डॉ बब्बर का कहना है कि अगर हम सावधानी से एयर फ्रायर उपयोग नहीं करते हैं तो इसमें एक्रिलामाइड का निर्माण अधिक होने का खतरा हो सकता है।

डॉ. बब्बर के अनुसार ऐसे संभावित खतरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि ऐसे एयर फ्रायर का इस्तेमाल किया जाए जिसमें स्टेनलेस स्टील कोटिंग हो। एक्सपर्ट ये भी सलाह देते हैं कि इसका ध्यान रखा जाए कि खाने को बहुत लंबे समय तक एयर फ्रायर में नहीं छोड़े। साथ ही इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि कोटिंग टूटी हुई नहीं है। अगर कोटिंग टूटी हुई है तो इसे तुरंत ठीक करा लेना चाहिए या इसे रिप्लेस कर दें क्योंकि टूटे हुए कोटिंग से जहरीले या ऐसे केमिकल खाने में मिल सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान होगा।

एयर फ्रायर स्वास्थ्य के लिए अच्छा है?

कई जानकार मानते हैं कि खाना पकाने के सभी तरीकों मसलन- डीप-फ्राइंग से लेकर एयर फ्राई और रोस्टिंग तक में एयर फ्रायर सबसे स्वास्थ्यप्रद विकल्प हो सकता है। यह ध्यान जरूर रखना है कि इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए। एयर फ्रायर दरअसल काफी कम तेल का उपयोग करते हैं, जिसका मतलब है कि आपके भोजन में कम वसा और कैलोरी होती है।

बताते चलें कि एयर फ्रायर आज के आधुनिक समय का खाना पकाने का एक साधन है जो कैलोरी की मात्रा कम करने और अच्छा वजन बनाए रखने में मदद कर सकता है। हालाँकि, इसके अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। कुल मिलाकर कहें तो 120 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर इसका इस्तेमाल किया जाए तो आप इसकी मदद से एक सुरक्षित और स्वस्थप्रद भोजन तैयार कर सकते हैं।

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