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ईरान में हिजाब पर और सख्त कानून, नहीं पहनने पर मौत की सजा तक का प्रावधान

तेहरान: ईरान हिजाब को लेकर पहले से ज्यादा सख्त कानून लागू करने जा रहा है। इसके तहत महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब नहीं पहनने पर मौत की सजा या 15 साल तक की जेल का सामना करना पड़ सकता है। नए कानून इसी सप्ताह से लागू हो सकते हैं।

ईरान के अनुसार इस कानून का लक्ष्य ‘शुचिता और हिजाब की संस्कृति’ को लागू करना है। बताया गया है कि इसमें ‘नग्नता, अभद्रता या अनुचित ड्रेसिंग को बढ़ावा देने’ के आरोपियों के लिए गंभीर दंड का प्रावधान है।

बार-बार अपराध करने वालों को 15,700 डॉलर तक (13 लाख रुपये) का जुर्माना, कोड़े मारने या पांच से 15 साल तक की कैद का सामना करना पड़ सकता है। इन कानूनों को इस महीने की शुरुआत में ईरानी अधिकारियों द्वारा अनुमोदित किया गया था।

हिजाब नहीं पहनने पर मौत की सजा का भी प्रावधान

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नए कानून के अनुच्छेद 37 में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सिविल सोसाइटी संगठनों सहित विदेशी संस्थाओं के सामने हिजाब विरोधी/अनुचित पहनावे या अभद्रता वाले विचार को रखने या उसकी वकालत करने के लिए 10 साल की सजा या 12,500 डॉलर (10 लाख भारतीय रुपये) का जुर्माना हो सकता है।

सबसे कठोर दंड उन लोगों के लिए होगा जिनके कृत्यों को ईरान के इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 286 के तहत ‘पृथ्वी पर भ्रष्टाचार’ माना जाता है। यह प्रावधान मृत्युदंड की अनुमति देता है। इसका मतलब ये है कि जो महिलाएं और लड़कियां विदेशी मीडिया के सामने खुद को खुले तौर पर पेश करने या वीडियो साझा करने या शांतिपूर्ण प्रदर्शन/एक्टिविज्म में संलग्न पाई जाती हैं, उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा नए कानून के अनुच्छेद 60 के तहत, अनिवार्य पर्दा का उल्लंघन करने वाली महिलाओं और लड़कियों की गिरफ्तारी या उत्पीड़न में हस्तक्षेप करने या रोकने का प्रयास करने वाले किसी शख्स को भी नहीं बख्शा जाएगा। इन्हें जेल की सजा या जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है।

ईरान में जब हिजाब के खिलाफ छिड़ा था जब आंदोलन

ईरान में यह सख्त कानून उस समय आया है जब दो साल पहले ही बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिजाब की अनिवार्यता का कड़ा विरोध किया था। पूरे ईरान में हिजाब के विरोध में तब बड़ा आंदोलन हुआ था। सितंबर 2022 में ईरान की कुख्यात मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में एक युवा ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद देश भर में बड़े पैमाने पर हिजाब प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए जिन्हें भारी मशक्कत के बाद सरकार ने शक्ति से दबा दिया था।

अमिनी को सरकारी मानकों के अनुसार हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सरकार का दावा था कि उसे एक पुलिस स्टेशन में दिल का दौरा पड़ा, वह गिर गई, और अस्पताल ले जाने से पहले वह कोमा में चली गई। हालांकि, अमिनी के साथ हिरासत में ली गई महिलाओं सहित प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उसे बुरी तरह पीटा गया था और पुलिस की बर्बरता के परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई।

ईरान में हिजाब की अनिवार्यता का विरोध

पिछले कुछ सालों में ईरान में महिलाओं द्वारा ड्रेस कोड का विरोध बढ़ा है। 1979 की क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। इन प्रतिबंधों ने कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों द्वारा कई आंदोलनों को जन्म दिया जो अनिवार्य हिजाब को चुनौती देते हैं। हालांकि ईरान की सरकार अब तक इसे बलपूर्वक दबाने का काम करती रही है।

पिछले ही महीने एक ईरानी लड़की की तस्वीर वायरल हुई थी, जिसने वहां की यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतार दिए थे। युवती को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में ऐसी खबरें आई कि युवती को किसी अज्ञात स्थान पर मनोरोग अस्पताल ले जाया गया था। अधिकारियों ने तब से ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली महिलाओं के लिए ‘हिजाब क्लीनिक’ स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की है।

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