Friday, October 10, 2025
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इस्तेमाल हो चुके खाने की तेल से इंडियन ऑयल अब बनाएगी विमानों का फ्यूल! क्या है मकसद?

नई दिल्ली: रसोई में कई व्यंजन बनाने के लिए इस्तेमाल हो चुके तेल को आमतौर पर फेंक दिया जाता है। खाना पकाने के बाद बेकार हो चुके का अब इस्तेमाल सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाने के लिए किया जा सकता है। इंडियन ऑयल की एक रिफाइनरी ने हाल ही में खाना पकाने के तेल से स्थायी विमानन ईंधन बनाने के लिए प्रमाणन हासिल कर लिया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने यह जानकारी दी है। हरियाणा में इंडियन ऑयल की पानीपत रिफाइनरी ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) का ISCC CORSIA सर्टिफिकेशन प्राप्त किया है। इससे इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल से SAF का उत्पादन किया जा सकेगा।

SAF क्या होता है?

सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) एक वैकल्पिक ईंधन है जो आमतौर पर गैर-पेट्रोलियम फीडस्टॉक्स से उत्पादित होता है, जिससे हवाई परिवहन से होने वाले उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। उपलब्धता के आधार पर, इसे पारंपरिक विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ या जेट ईंधन) के साथ 50 प्रतिशत तक मिश्रित किया जा सकता है। भारत ने 2027 से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों को बेचे जाने वाले जेट ईंधन में 1 प्रतिशत एसएएफ का मिलाना अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में जाहिर है एसएएफ की ज्यादा जरूरत पड़ने वाली है।

ISCC CORSIA जैसे प्रमाणन यह सुनिश्चित करते हैं कि ईंधन पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों पर खरा उतरे हैं। यह अन्य घरेलू रिफाइनरियों और उद्योग जगत के लिए SAF उत्पादन बढ़ाने का एक मानक भी स्थापित करता है, जो 2070 तक जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है।

स्पाइसजेट ने अगस्त 2018 में 75% नियमित एटीएफ और 25% जैव ईंधन के मिश्रण का उपयोग करके एक परीक्षण उड़ान का संचालन किया था। इसके बाद इंडिगो ने फरवरी 2022 में एक अंतरराष्ट्रीय मार्ग पर 10% एसएएफ मिश्रण वाली उड़ान का प्रदर्शन किया था।

खाने की तेल से विमान का ईंधन

अरविंदर सिंह साहनी के अनुसार एजेंसियाँ बड़ी होटल चेल, रेस्तरां और हल्दीराम जैसी स्नैक्स और मिठाई आदि बनाने वाली कंपनियों सहित प्रमुख उपभोक्ताओं से इस्तेमाल किया हुआ खाना पकाने का तेल इकट्ठा करेंगी और उसे पानीपत रिफाइनरी में पहुँचाएंगी। यहां इसे विमानन ईंधन में परिवर्तित किया जा सकेगा।

होटल और रेस्तरां आमतौर पर एक बार इस्तेमाल के बाद खाना पकाने के तेल को फेंक देती हैं। उन्होंने कहा, ‘देश में इस तरह का तेल बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। एकमात्र चुनौती इसे इकट्ठा करना है। हालाँकि बड़ी होटल चेन से इसे इकट्ठा करना आसान है, लेकिन घरों सहित छोटे उपयोगकर्ताओं से इसे इकट्ठा करने के लिए किसी तरह के समाधान को खोजने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा, ‘इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की पानीपत रिफाइनरी में उत्पादित एसएएफ का कार्बन उत्सर्जन और ट्रेसेबिलिटी के लिए कठोर मूल्यांकन किया गया है, जिससे भारतीय एयरलाइनों के लिए प्रमाणित एसएएफ को बनाने का एक स्पष्ट मार्ग तैयार हो गया है।’

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