विशाखापत्तनमः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 26 अगस्त (मंगलवार) को भारतीय नौसेना में आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी को शामिल किया, इससे भारत की नौसैनिक क्षमताओं में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। यह भारत में रक्षा विनिर्माण में इसकी बढ़ती आत्मनिर्भरता को रेखांकित करती है।
आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस हिमगिरी दोनों ही अत्याधिनुक मल्टी स्टील्थ फ्रिगेट की क्षमताओं से लैस हैं। भारतीय नौसेना में इसे शामिल करते हुए राजनाथ सिंह ने इसे “आत्मनिर्भर भारत के सपने के साकार होने की तस्वीर” बताया। उन्होंने कहा कि यह “हमारी दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।”
भारतीय नौसेना को मिली मजबूती
भारतीय नौसेना ने ऐसा पहली बार किया है जब दो अलग-अलग शिपयार्डों में निर्मित दो अग्रिम पंक्ति के सतही लड़ाकू विमानों को नौसेना में शामिल किया गया है। यह दोहरी नौसेना तैनाती भारत के पूर्वी समुद्री तट के सामरिक महत्व और देश के दो प्रमुख रक्षा शिपयार्डों के बीच सफल सहयोग को दर्शाती है।
राजनाथ सिंह ने इस दौरान कहा “आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिर आज जिस यात्रा पर विशाखापत्तनम से निकल रहे हैं, वह भारत के गौरव की यात्रा है। यह कमीशनिंग हम सभी के लिए गर्व की बात है। “
उदयगिरि और हिमगिरि प्रोजेक्ट 17ए श्रेणी की नवीनतम सबसे लंबी जहाज हैं जो प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) श्रेणी के फ्रिगेट की विरासत पर आधारित हैं। इनमें डिजाइन, स्टील्थ, तकनीक, हथियार और सेंसर प्रणालियों में उल्लेखनीय प्रगति है। ये क्षमताएं इन्हें ब्लू वाटर परिस्थितियों में समुद्री अभियानों की पूरी श्रृंखला को अंजाम देने में सक्षम हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा “इन युद्धपोतों में कई उन्नत क्षमताएं शामिल हैं। दोनों युद्धपोत अत्याधुनिक और अत्यंत आवश्यक प्रणालियों से लैस हैं जैसे लंबी दूरी की सतह से हवा से मार करने वाली मिसाइलें, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल, स्वदेशी रॉकेट लांचर, टॉरपीडो लांचर, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और फायर कंट्रोल सिस्टम। मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों युद्धपोत समुद्र में अत्यधिक जटिल और जोखिम भरे अभियानों में निर्णायक साबित होंगे।”
संयुक्त डीजल गैस संयंत्र
इन जहाजों में आधुनिक संयुक्त डीजल या गैस (सीडीओजी) संयंत्र, अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली और उन्नत क्षमता वाले स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।
रक्षामंत्री ने कहा “इन युद्धपोतों के हथियार और सेंसर पैकेज इन्हें समुद्र के अजेय प्रहरी बनाते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि इन दोनों युद्धपोतों के समावेश से हमारी नौसेना की क्षमता,पहुंच और लचीलापन बढ़ जाएगा।
इनके हथियारों में सुपरसोनिक, सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज इन हथियार प्रणाली शामिल हैं।
इन्हें बनाने में करीब 75 प्रतिशत स्वदेशी सामान का इस्तेमाल हुआ है और सैकड़ों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के समर्थन के साथ यह परियोजना रक्षा विनिर्माण में सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का प्रमाण है।
आईएनएस उदयगिरी का निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक द्वारा किया गया है। वहीं, आईएनएस हिमगिरी का निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा किया गया है।
भारतीय नौसेना के समृद्ध इतिहास को ध्यान में रखते हुए इन युद्धपोतों का निर्माण किया गया है। इससे पहले भारतीय नौसेना में आईएनएस उदयगिरि (F35) और आईएनएस हिमगिरि (F34) के नाम पर रखा गया है। इन दोनों ही युद्धपोतों ने सेवामुक्त होने से पहले 30 सालों तक देश की सेवा की। इनका कमीशन इस विरासत का सम्मान करता है और साथ ही क्षमता के एक नए युग की शुरुआत करता है।
डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया उदयगिरि 100वां जहाज है। आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि के दोनों फ्रिगेट को पूर्वी बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा जिससे हिंद महासागर में समुद्री हितों की रक्षा के लिए भारत की स्थिति मजबूत होगी।