नई दिल्लीः भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 25 सितंबर, गुरुवार को 97 तेजस Mk-1A जेट विमानों की खरीद के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। स्वदेशी लड़ाकू विमान के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा हुआ। इस समझौते का मूल्य 62,370 करोड़ रुपये से अधिक का है।
इस अनुबंध में भारतीय वायु सेना के लिए 68 एकल सीट लड़ाकू विमान और 29 दोहरे-सीट प्रशिक्षण विमान के साथ ही संबंधित उपकरण शामिल हैं। इन विमानों की आपूर्ति 2027-28 में शुरू होगी और छह वर्षों की अवधि में पूरी होगी।
साल 2021 में हुआ था समझौता
यह समझौता फरवरी 2021 में 83 तेजस एमके-1 विमानों के 46,898 करोड़ रुपये के पहले हुए अनुबंध के बाद हुआ है। हालांकि, उस पिछली परियोजना में कुछ देरी हुई थी। इस सौदे को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 19 अप्रैल 2025 को मंजूरी दी थी। इस समिति की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी ने की।
एचएएल के साथ इस समझौते के तहत विमानों में 64 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी और इसमें 2021 के अनुबंध की तुलना में 67 अतिरिक्त उपकरण शामिल होंगे। नई प्रणालियों में उत्तम AESA रडार, स्वयं रक्षा कवच इलेक्ट्रानिक युद्ध सूट और स्वदेशी रूप से विकसित नियंत्रण सतह एक्चुएटर शामिल हैं।
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इस खरीद को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की ‘बाय (इंडिया-आईडीडीएम)’ श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। इस खरीद का उद्देश्य भारतीय वायुसेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करना है क्योंकि मिग-21 जैसे पुराने विमानों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। गौरतलब है कि मिग-21 छह दशकों से अधिक समय तक सेवाएं देने के बाद 26 सितंबर को रिटायर हो रहा है।
तेजस डील के बारे में अधिकारियों ने क्या बताया?
अधिकारियों के मुताबिक, तेजस कार्यक्रम की आपूर्ति श्रृंख्ला में लगभग 105 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। अनुबंध की अवधि के दौरान इसके उत्पादन से सालाना लगभग 11 हजार से रोजगार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सृजित होने की उम्मीद है।
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि जनरल इलेक्ट्रिक (जेई) के साथ 113 एफ-404 इंजनों का सौदा भी अंतिम रूप ले चुका है। जल्दी ही इसके लिए आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
तेजस विमान एक स्वदेशी मल्टी रोल फाइटर प्लेन है, यह दुश्मन के सबसे खतरनाक वातावरण में उड़ान भरने में सक्षम है। यह विमान एयर डिफेंस के अलावा मैरिटाइम रिकॉनिसेंस के साथ-साथ सटीक स्ट्राइक रोल्स को भी अंजाम देने में सक्षम है।
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इस विमान की आपूर्ति भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी। इसके साथ यह नई तकनीक और रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
एचएएल तेजस के लिए इसी महीने तीसरा जीई-404 इंजन मिल गया है। ऐसी संभावना है कि दिसंबर तक इसका चौथा इंजन भी मिल जाएगा। एचएएल का मानना है कि इंजनों की आपूर्ति से जल्द ही वायुसेना को विमान सौंपने में आसानी होगी।