नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में प्रदर्शनकारियों पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा की। भारत ने कहा कि यह घटनाएँ पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और इन इलाकों के संसाधनों की सुनियोजित लूट का स्वाभाविक परिणाम हैं। इस दमनकारी कार्रवाई में अब तक कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। भारत ने कहा कि पाकिस्तान को ‘भयानक मानवाधिकार उल्लंघनों’ के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “पीओके के कई क्षेत्रों से प्रदर्शनों और पाकिस्तानी बलों द्वारा निर्दोष नागरिकों पर बर्बरता की खबरें आई हैं। यह पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और इन इलाकों के संसाधनों की सुनियोजित लूट का स्वाभाविक परिणाम है। पाकिस्तान को इन भयानक मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और रहेंगे।
गौरतलब है कि सितंबर के आखिर में पीओके में जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) के आह्वान पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जेएएसी, जिसमें व्यापारी और नागरिक समाज संगठन शामिल हैं, ने सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के विशेषाधिकार समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर से आए शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को खत्म करने की मांग की थी।
इन प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। बढ़ते असंतोष को शांत करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने अपने वार्ताकारों को पीओके की राजधानी मीरपुर-मुजफ्फराबाद भेजा। उन्होंने जेएएसी के प्रतिनिधियों से बातचीत की, लेकिन इससे पहले हुई वार्ताओं के असफल रहने के बाद हालात और बिगड़ गए थे।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने 28 सितंबर से पीओके में पूरी तरह से संचार बंद कर दिया है। इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएँ काट दी गई हैं, शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और अतिरिक्त पुलिस व अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है। हालात बिगड़ने के बाद कई इलाकों में लोगों ने पूरी तरह बंद का आह्वान किया। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, धीरकोट इलाके में ही जेएएसी समर्थक हमले में 3 पुलिसकर्मी मारे गए और 9 घायल हुए। वहीं कुल मिलाकर अब तक 172 पुलिसकर्मी और 50 नागरिक चोटिल बताए जा रहे हैं।
यह तीसरी बार है जब 2023 के बाद से पीओके में इतने व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। पहले भी यहां बिजली दरों में बढ़ोतरी, खाद्य सामग्री की कमी, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग जैसे मुद्दों पर आंदोलन हो चुके हैं। स्थानीय लोग बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे के विकास की भी मांग कर रहे हैं।
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने भी पीओके में नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौत की निंदा करते हुए कहा कि अत्यधिक बल का इस्तेमाल अस्वीकार्य है। आयोग ने चेतावनी दी कि जब तक पीओके के लोगों को राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाएगा, तब तक कोई भी संवाद सार्थक नहीं हो सकता।