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अमेरिकी वीजा के लिए सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी देने के नए नियम को लेकर भारत ने क्या कहा?

नई दिल्लीः भारत ने कहा है कि अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नागरिकों के आवेदन पर योग्यता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को यह प्रतिक्रिया आई। विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी वीजा आवेदकों के अपने सोशल मीडिया विवरणों को देने के लिए दिशानिर्देश जारी करने के बाद आई है। 

सरकार ने कहा कि आव्रजन संबंधी मामले किसी भी देश के संप्रभु कार्य होते हैं, उसने यह भी आग्रह किया कि भारतीयों के वीजा आवेदनों पर योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए। 

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, “वीजा और आव्रजन के मामले देश के संप्रभु कार्य होते हैं। लेकिन हमने अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी दिशानिर्देशों को देखा है जिसमें वीजा आवेदनों में सोशल मीडिया पहचानकर्ताओं का विवरण दिया गया है।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी आश्वासन दिया कि भारत अपने नागरिकों के हितों की रक्षा का प्रयास कर रहा है और वाणिज्य दूतावास संबंधी मुद्दों पर अमेरिका के संपर्क में है।

क्या हैं नए वीजा नियम? 

अमेरिका द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, अब F, M या J गैर आप्रवासी वीजा के लिए आवेदन करने वालों को अब अपने सोशल मीडिया हैंडल की सेटिंग पब्लिक करनी होगी ताकि उनकी स्क्रीनिंग की जा सके। एफ या एम कैटेगरी छात्र वीजा के लिए होती है और जे कैटेगरी एक्सचेंज वीजा विजिटर के लिए है। 

वहीं, आवेदकों को डीएस-160 वीजा आवेदन पत्र पर पिछले पांच सालों में इस्तेमाल किए गए हर प्लेटफॉर्म के सभी सोशल मीडिया यूजरनेम को सूचीबद्ध करना अनिवार्य है। 

अमेरिकी दूतावास के मुताबिक, कानून के तहत आवेदकों की पहचान और अमेरिका में उनकी स्वीकार्यता स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया जांच आवश्यक है।

जानकारी न देने पर हो सकती है कार्रवाई

यदि आवेदन अपनी सोशल मीडिया की जानकारी दर्ज करने में असफल रहते हैं तो इससे उनका वीजा रद्द किया जा सकता है या फिर भविष्य के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा। वीजा आवेदकों से 2019 से अप्रवासी और गैर-अप्रवासी वीजा आवेदन फॉर्म पर “सोशल मीडिया पहचानकर्ता” प्रदान करने के लिए कहा गया है। 

नए दिशानिर्देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आव्रजन पर कड़ी कार्रवाई के बाद आए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव से पहले कहा था कि अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों को जेल और निर्वासन का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से कई देशों के अवैध प्रवासियों को भी बाहर भेजा है। 

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