भारत में सोने की कीमतों (Gold rate) में पिछले एक दशक की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में 10 ग्राम सोने की कीमत 1,16,822 रुपये तक पहुँच चुकी है। इस स्तर पर भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और घरेलू स्तर पर रखे सोने की कुल मात्रा की कीमत 30 लाख करोड़ रुपये या 3.29 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गई है। यह राशि अधिकांश देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से भी अधिक है और भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग दस गुना है।
RBI को सोने से हुआ रिकॉर्ड लाभ
बिजनेस टुडे के अनुसार, आरबीआई के पास इस समय 879.58 मीट्रिक टन सोना है, जो उसका अब तक का सबसे बड़ा भंडार है। 30 सितंबर तक, इस सोने के भंडार का मूल्य 10.28 लाख करोड़ रुपये (115.7 बिलियन डॉलर) है, जबकि ठीक एक साल पहले इसी सोने का मूल्य केवल 2.74 लाख करोड़ रुपये था। इसका मतलब है कि आरबीआई को सोने की खरीद में वृद्धि से नहीं, बल्कि कीमतों में हुई भारी वृद्धि से 275% का काल्पनिक लाभ हुआ है, जो दशकों में हुआ सबसे बड़ा लाभ है।
इस बढ़त के कारण, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी पिछले साल के 8-9% से बढ़कर 12.5% से अधिक हो गई है, भले ही आरबीआई ने पिछले तीन महीनों में एक भी टन सोना नहीं खरीदा हो, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने 2024 में आक्रामक खरीदारी के बाद जून 2025 में खरीदारी रोक दी थी।
आरबीआई के भंडार से भी बड़ी कहानी भारतीय घरों में छिपी है, जो देश में सोने की असली शक्ति है। अनुमान है कि भारतीय घरों में लगभग 25,000 टन सोना है, जो देश के कुल भंडार का 95% से अधिक है। वर्तमान कीमतों पर, इस निजी भंडार का मूल्य 29.21 लाख करोड़ रुपये (3.29 ट्रिलियन डॉलर) है। यह न केवल दुनिया में सबसे बड़ी निजी सोने की होल्डिंग है, बल्कि यह दुनिया के शीर्ष 10 केंद्रीय बैंकों के आधिकारिक भंडार को भी एक साथ मिला देने से ज़्यादा है।
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भारत में सोने के इस विशाल भंडार के पीछे सांस्कृतिक जुड़ाव, दहेज की परंपरा और महंगाई से बचाव का उद्देश्य रहा है; आज, यह एक शक्तिशाली वित्तीय बफ़र के रूप में भी काम करता है। भारत का कुल सोना भंडार (केंद्रीय और घरेलू मिलाकर) लगभग 25,800 टन है, जो चीन (18,000 टन), अमेरिका (12,700 टन) और यहाँ तक कि जर्मनी (12,440 टन) के भंडार को भी बौना साबित करता है।
सोने की कीमतों में तेजी के क्या कारण हैं?
सोने की कीमतों में तेजी से उछाल जारी है, जिसने इस महीने को पिछले 14 सालों में सबसे बेहतर बना दिया है और स्पॉट गोल्ड 3,842 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच गया है। सितंबर में इंडियन बुलियन पर सोने का भाव 11.4 प्रतिशत बढ़ा है। खबर लिखे जाने तक सोने की कीमत 24 कैरेट सोना 11,831 रुपये प्रति ग्राम , 22 कैरेट सोना 10,845 रुपये प्रति ग्राम और 18 कैरेट सोने का दाम 8,873 रुपये प्रति ग्राम था।
बता दें कि अगस्त 2011 में सोने ने 12.11% का रिटर्न दिया था। 14 साल बाद, सितंबर 2025 में, सोने का रिटर्न 11.85% रहा। इससे पहले, जनवरी 2012 में सोने ने सिर्फ एक महीने में 11.03% की तेजी दर्ज की थी, जबकि जनवरी 2008 में एक महीने के भीतर सोने का रिटर्न 10.83% रहा था।
मौजूदा उछाल के पीछे मुख्य रूप से वैश्विक अनिश्चितता बताई जा रही है। वॉशिंगटन में बजट वार्ता विफल होने से अमेरिकी सरकार की सेवाओं के ठप होने का डर बढ़ा है, जिससे बाजार में अनिश्चितता फैली है और सुरक्षित निवेश की मांग में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, बाजार अब फेडरल रिजर्व द्वारा एक और ब्याज दर कटौती की उम्मीद पर दाँव लगा रहा है, क्योंकि दरें कम होने से उधार लेना सस्ता होता है और सोने में निवेश अधिक आकर्षक हो जाता है।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों से कमजोर आर्थिक संकेत भी मिल रहे हैं, जिससे निवेशक डरे हुए हैं। किसी भी नकारात्मक आर्थिक आँकड़े की उम्मीद सोने की कीमतों को और बढ़ा सकती है। अंत में, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में निवेश बढ़ने से बड़े निवेशकों की बढ़ती मांग भी सोने की इस तेजी सहयोग दे रही है।
क्या अभी सोना खरीदना चाहिए?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, सोना राजनीतिक और वित्तीय अस्थिरता के दौरान बेहतर प्रदर्शन करता है और वर्तमान में मंदी का डर तथा दर कटौती की उम्मीदें मांग बढ़ा रही हैं। हालांकि, रिकॉर्ड स्तर पर खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। लंबे समय के निवेशक, जो अनिश्चितता से बचाव चाहते हैं, वे इसे अभी भी एक सुरक्षित दाँव मान सकते हैं। लेकिन छोटे समय के लाभ के लिए खरीदने वालों को सावधान रहने की सलाह दी गई है।