Friday, October 10, 2025
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‘नागरिकों की सुरक्षा पर पाकिस्तान का बोलना शोभा नहीं देता’ संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा- ये पाखंड है

न्यूयॉर्क: भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पड़ोसी देश जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाता है और आतंकवाद को समर्थन देता है। भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की ओर से आतंकी अभियानों के लिए आम नागरिकों से जुड़े स्थानों का इस्तेमाल कवर की तौर पर किया जाता है।

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी यह दावा करके आतंकवाद विरोधी कार्रवाई से छूट का दावा नहीं कर सकते कि वे नागरिक हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, ‘पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए बार-बार नागरिक कवर का इस्तेमाल किया है।’

‘पाकिस्तान का नागरिक सुरक्षा पर बोलना शोभा नहीं देता’

नागरिकों के लिए उभरते खतरों और उनकी सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद की बहस में बोलते हुए राजदूत हरीश ने कहा कि हाल में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा पर बसे गांव को निशाना बनाया जिसमें 20 से ज्यादा लोग मारे गए और 80 से ज्यादा घायल हुए। उन्होंने कहा कि कुछ हमले जानबूझकर धार्मिक और मेडिकल सुविधाओं वाली जगहों पर किए गए।

साथ ही भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नागरिकों को निशाना बनाया गया था। हरीश ने कहा, ‘एक ऐसा देश जो आतंकवादियों और नागरिकों के बीच कोई अंतर नहीं करता, उसे नागरिकों की सुरक्षा के बारे में बोलना शोभा नहीं देता है।’

उन्होंने कहा, ‘हमने हाल ही में वरिष्ठ सरकारी, पुलिस और सैन्य अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर द्वारा लक्षित आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि देते देखा।’

गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह और मेजर जनरल राव इमरान और पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक उस्मान अनवर सहित पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारी ऑपरेशन सिंदूर हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों में शामिल थे, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक वरिष्ठ नेता हाफिज अब्दुर रऊफ भी शामिल था, जिसे अमेरिकी सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है।

‘पाकिस्तान का पाखंड’

पी हरीश ने भारतीय सीमा में नागरिकों पर पाकिस्तान की ओर से सैन्य कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस तरह के व्यवहार के बाद इस संस्था में उपदेश देना घोर पाखंड है। दुर्भाग्य से, सशस्त्र संघर्ष के दौरान महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को सैन्य अभियानों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सुरक्षा परिषद के उन प्रासंगिक प्रस्तावों के कार्यान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाने का संकल्प ले, जिन्हें पहले अपनाया जा चुका है।’

भारत ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकों और मानवीय कार्यकर्ताओं पर कोई भी हमला अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मौजूदा कानूनी ढांचे की अनदेखी नहीं की जा सकती।

हरीश ने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए तर्कों का इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों को बचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता पर एक साथ आना चाहिए और उन लोगों को बाहर निकालना चाहिए जो इसे प्रायोजित करते हैं और इसका बचाव करते हैं।’

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)

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