नई दिल्लीः भारत-अमेरिका के साथ जल्द ही एक नई डील की योजना बना रहा है। इस डील के तहत अमेरिकी दिग्गज कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (General Electric) के साथ 113GE F414 इंजनों की खरीद करेगा। इन इंजनों को बहुप्रतीक्षित LCA Mk1A विमानों में लगाया जाएगा।
LCA Mk1A विमान हल्के विमान होते हैं और इनके लिए कुछ महीनों पहले ही ऑर्डर दिया गया था।
भारत-अमेरिका की डील के बारे में HAL के अधिकारी ने क्या बताया?
भारत-अमेरिका के बीच इस समझौते के बारे में भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अधिकारी ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “एयरो इंजन के लिए जीई के साथ बातचीत पूरी हो गई है और इस महीने के अंत तक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।”
इसी साल अगस्त में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति यानी सीसीएस (CCS) ने 97 LCA Mk1A विमानों की खरीद के लिए हरी झंडी दे दी थी। इनका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा और इसके लिए अनुमानित लागत लगभग 67,000 करोड़ रुपये है।
भारत-अमेरिका के बीच यह डील ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर पहले 25 फीसदी टैरिफ और बाद में अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है।
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एचएएल के अन्य सूत्र ने भारत-अमेरिका के बीच होने वाली इस डील के बारे में बताया कि शुरुआती दो LCA Mk1A विमान भारतीय वायु सेना को इसी साल अक्तूबर में प्रदान दिए जाएंगे। उन्होंने कहा “दस विमान बन चुके हैं और उनका परीक्षण किया जा रहा है। पहली डिलीवरी अक्तूबर में होगी जिसमें से एक विमान नासिक से सौंपे जाने के लिए तैयार है।”
उन्होंने आगे कहा “दो अतिरिक्त इंजन इस महीने मिलने की उम्मीद है।” उन्होंने आगे कहा कि एफ404 इंजन के अलावा दस एफ414 इंजन हमें पहले ही दिए जा चुके हैं।
परीक्षण हो चुके हैं पूरे
इस बीच Mk-1A ने हथियार एकीकरण संबंधी परीक्षण पूरे कर लिए हैं जिसमें एस्ट्रा और एएसआरएएम मिसाइलों का परीक्षण भी शामिल है। आपूर्ति की समय-सीमा बताते हुए सूत्रों ने कहा कि उन्नत LCA Mk2 को 2027 में तैयार किया जाना है। वहीं, चार तिमाहियों की कथित तौर पर देरी के बाद अब 83 Mk1A लड़ाकू विमानों के साल 2029 में आने की उम्मीद है।
तेजस Mk1A एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा डिजाइन किया गया भारत का एकल इंजन वाला 4.5 पीढ़ी का डेल्टा विंग बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान का नया और उन्नत संस्करण है। यह लड़ाकू विमानों की संख्या में कमी और लड़ाकू स्क्वाड्रनों में समग्र गिरावट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारतीय वायु सेना ने साल 2021 में 46,000 करोड़ रुपये में 83 LCA Tejas Mk 1A विमानों का ऑर्डर दिया था। यदि यह नया ऑर्डर निर्धारित 15 सालों में पूरा हो जाता है तो भारत के पास 40 LCA, 180 से अधिक LCA Mark-1A और कम से कम 120 LCA Mark-2 विमान होंगे।
भारतीय वायु सेना में विमानों की घटती संख्या ने पैदा कर दी है चिंता
लगातार लड़ाकू विमानों की घटती संख्या ने भारतीय वायु सेना के लिए चिंता पैदा कर दी है। इसी महीने के अंत में मिग-21 विमानों को रिटायर कर दिया जाएगा जिसके बाद विमानों की संख्या और भी कम हो जाएगी।
एक तरफ जहां मिग लड़ाकू विमानों को रिटायर किया जा रहा है वहीं, तेजस विमानों में देरी को लेकर चिंता पैदा हो गई क्योंकि लड़ाकू क्षमता में कमी हो रही है।
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आधिकारिक तौर पर वायु सेना के पास किसी भी समय 42 स्क्वैड्रन मौजूद होने चाहिए। इनमें प्रत्येक स्क्वैड्रन में 16-18 विमान होते हैं।
तेजस विमान एक सिंगल इंजन वाला हल्का लड़ाकू विमान है जिसे कई कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। विशेष तौर पर इसे मिग-21 का विकल्प माना जा रहा है। भारत का पहला स्वदेशी एलसीए विमान जुलाई 2016 में शामिल किया गया था। तेजस को शामिल करने वाला भारतीय वायु सेना का पहला स्क्वाड्रन नंबर 45 था। इसे ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ भी कहा जाता है। शुरुआत में 40 एमके1 का ऑर्डर दिया गया था जिनमें से 45 को शामिल किया जा चुका है।