Friday, October 10, 2025
Homeभारतभारत में इस बार भीषण गर्मी की संभावना, अप्रैल से जून के...

भारत में इस बार भीषण गर्मी की संभावना, अप्रैल से जून के बीच अधिक लू के दिन रहने के आसार: आईएमडी

नई दिल्ली: भारत में इस साल अप्रैल से जून के बीच सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। खासतौर पर मध्य और पूर्वी भारत तथा उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में अधिक लू के दिन देखने को मिल सकते हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को यह जानकारी दी।

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। हालांकि, पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों में तापमान सामान्य रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान भी ज्यादातर क्षेत्रों में सामान्य से अधिक रहेगा।

लू के दिन होंगे ज्यादा

महापात्रा ने कहा, “अप्रैल से जून के दौरान उत्तर और पूर्वी भारत, मध्य भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में सामान्य से दो से चार दिन अधिक लू चलने की संभावना है।”

आमतौर पर, भारत में अप्रैल से जून के बीच चार से सात दिन लू चलती है। लेकिन इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में लू के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है।आंकड़ों के मुताबिक, इस क्षेत्र में आमतौर पर गर्मी के मौसम में पांच से छह दिन लू चलती है।

किन राज्यों में पड़ेगी भीषण गर्मी?

जिन राज्यों में इस साल सामान्य से अधिक लू चलने की संभावना है, उनमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के उत्तरी हिस्से और तमिलनाडु शामिल हैं।

आईएमडी के अनुसार, अप्रैल के महीने में भी देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। हालांकि, देश के अत्यधिक दक्षिणी और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में तापमान सामान्य रह सकता है।

न्यूनतम तापमान भी देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, हालांकि, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व के कुछ इलाकों में यह सामान्य या हल्का कम रह सकता है।

बिजली की मांग में होगी बढ़ोतरी

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस गर्मी में देश में बिजली की मांग 9 से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है, क्योंकि अधिक लू के दिन रिकॉर्ड किए जाने की संभावना है।पिछले साल 30 मई को भारत की बिजली मांग 250 गीगावॉट (GW) के पार चली गई थी, जो अनुमानों से 6.3 प्रतिशत अधिक थी। ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन से बढ़ता तापमान न केवल लोगों की सेहत बल्कि बिजली खपत पर भी असर डाल रहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा